'द ओमीक्रॉन वेरिएंट' नाम की कोई भी फ़िल्म नहीं है, ग़लत दावा वायरल

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  • प्रकाशित 6 दिसंबर 2021, 08h53
  • 4 मिनट
  • द्वारा एफप भारत
सोशल मीडिया और न्यूज़ आउटलेट्स में एक फ़िल्म का पोस्टर ख़ूब वायरल हुआ जिसपर अंग्रेज़ी में टाइटल लिखा है, “द ओमीक्रॉन वेरिएंट.” लोगों ने इसे शेयर करते हुए कोविड-19 वेरिएंट ओमीक्रॉन पर 60 के दशक में ही फ़िल्म बन जाने की बात कही. ये दावा ग़लत है: ऐसी कोई फ़िल्म कभी बनी ही नहीं. पोस्टर बनाने वाली आर्टिस्ट ने ट्विटर पर और AFP से बात करते हुए साफ़ किया कि उन्होंने ही “The Omicron Variant” को फ़िल्म पोस्टर में एडिट कर लगाया था.

ये दावा हिंदी फ़िल्म निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने ट्विटर पर यहां 2 दिसंबर, 2021 को किया.

उन्होंने इसके साथ ही कैप्शन लिखा, “आप विश्वास करें या नहीं, ये फ़िल्म 1963 में आयी थी, इसकी टैगलाइन देखिये.”

पोस्टर में फ़िल्म के नाम के नीचे दो लोग ऊपर देखते हुए नज़र आ रहे हैं जिनके पीछे एक हाथ पर कीड़ा बैठा हुआ है. सबसे ऊपर अंग्रेज़ी में लिखा हुआ है, “वो दिन जब पृथ्वी क़ब्र में बदल गयी.”

बता दें कि कोरोना के हालिया वेरिएंट ओमीक्रॉन ने पूरी दुनिया, और ख़ासकर दक्षिण अफ़्रीका में वापिस हड़कंप मचाकर रख दिया है. भारत में भी कोरोना के ओमीक्रॉन वेरिएंट के भारत में कई मामले आ चुके हैं.

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भ्रामक पोस्ट का स्क्रीनशॉट

पोस्टर के नीचे बायीं तरफ़ और लिखा है कि इसे त्रिएस्ते फ़ैंटेस्टिक फ़िल्म फ़ेस्टिवल में अवॉर्ड मिल चुका है. साथ ही निर्देशक का नाम भी देखा जा सकता है, शाऊल बेस.

ये पोस्टर और फ़िल्म बनने का दावा फ़ेसबुक पर यहां और यहां; और ट्विटर पर यहां और यहां शेयर किया गया.

हिंदी न्यूज़ आउटलेट्स अमर उजाला और नई दुनिया ने भी इसपर एक भ्रामक एक आर्टिकल प्रकाशित किया.

पोस्टर आया कहां से?

इस पोस्टर का रिवर्स इमेज सर्च करने पर ओरिजिनल पोस्टर दिखा जिसकी एक कॉपी स्पेन की इ कॉमर्स वेबसाइट टोडो कोलेचियन पर बेचने के लिए लगाई गयी है. ये साई-फ़ाई फ़िल्म फेज़ IV का पोस्टर है जिसे 1974 में रिलीज़ किया गया था और इसका निर्देशन अमेरिकी निर्देशक शाऊल बेस ने किया था.

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टोडो कोलेचियन की वेबसाइट का स्क्रीनशॉट

शाऊल बेस निर्देशक के अलावा एक प्रसिद्द ग्राफ़िक डिज़ाइनर भी हैं जिन्होंने अन्य निर्देशकों के साथ मिलकर फ़िल्मों के पोस्टर्स और क्रेडिट बनाये हैं. इनमें अल्फ़्रेड हीचोक की “वर्टिगो”, रोबर्ट वाइज की “वेस्ट साइड स्टोरी” और मार्टिन स्कॉर्सेसे “कैसिनो” शामिल है.

“फ़ेज़ IV” निर्देशक के तौर पर उनकी इकलौती फ़िल्म है. इसने त्रिएस्ते फ़ैंटेस्टिक फ़िल्म फ़ेस्टिवल में ख़िताब हासिल किया था. इस फ़िल्म फ़ेस्टिवल की वेबसाइट के मुताबिक इसमें मानव और चीटियों की सेना के बीच में युद्ध दिखाया गया है. AFP ने पाया कि फ़िल्म की कहानी का कोरोना वायरस या इसके वेरिएंट्स से कोई लेना-देना नहीं है.

ये पोस्टर किसने एडिट की?

ट्विटर पर एडवांस सर्च करते हुए आयरिश निर्देशक बेकी चीटल का ट्वीट मिला जिसमें उन्होंने कुछ तस्वीरें शेयर की हैं.

उन्होंने 28 नवंबर को एक ट्वीट में कुछ पोस्टर्स शेयर करते हुए लिखा, “मैंने 1970 की कुछ साई-फ़ाई फिल्मों के पोस्टर पर The Omicron Variant जोड़ दिया है.”

AFP ने उनसे संपर्क किया और उन्होंने ये साफ़ किया कि पोस्टर को उन्होंने ही एडिट किया है. उन्होंने यही द एंड्रोमेडा मिस्ट्री और द स्टील ब्रेन के साथ भी किया था जिनका ओरिजिनल पोस्टर आप यहां और यहां देख सकते हैं.

उन्होंने कहा, “ये बस एक मज़ाक था कि ओमीक्रॉन वेरिएंट की मौजूदगी 1970 के दशक की साई-फ़ाई जैसी मालूम होती है. मैंने नहीं सोचा था कि लोग इसे इतनी गंभीरता से लेंगे.”

1963 में बनी थी फ़िल्म ‘ओमीक्रॉन’

IMDb के डेटाबेस में “द ओमीक्रॉन वेरिएंट” नाम की कोई फ़िल्म है ही नहीं. लेकिन “ओमीक्रॉन” नाम की फ़िल्म ज़रूर देखी जा सकती है जो 1963 में बानी साई-फ़ाई कॉमेडी फ़िल्म है. इसे इटैलियन उगो ग्रेगोरेट्टी ने निर्देशित किया था.

वेबसाइट पर इस फ़िल्म के बारे में लिखा है, “एक एलियन पृथ्वी से एक इंसान के बच्चे को कब्ज़े में कर लेता है ताकि उससे इस गृह के बारे में जानकारी जुटा सके.”

SARS-CoV-2 के ओमीक्रॉन वेरिएंट का नाम भी बाकि वेरिएंट्स की तरह ग्रीक अक्षर को लेकर रखा गया था. वेबसाइट के वेरिएंट पर जानकारी देने वाले पेज के मुताबिक, इसकी शब्दावली “ग़ैर-वैज्ञानिक ऑडियंस तक पहुंचाना और समझाना आसान है”.

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