बाबरी मस्जिद से जुड़ी डॉक्यूमेंटरी स्क्रीनिंग का वीडियो बांग्लादेश से नहीं बल्कि भारत से है

बीते दिनों मुस्लिम-बहुल बांग्लादेश ने देश के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ़ हमलों में बढ़त देखी है. इसी बीच एक वीडियो इस गलत दावे के साथ ऑनलाइन शेयर किया जा रहा है कि बांग्लादेश में मुसलमानों को हिंदुओं के खिलाफ़ भड़काने के लिए बाबरी मस्जिद के विध्वंस की एक डाक्यूमेंट्री की पब्लिक स्क्रीनिंग हुई है. हालांकि इस स्क्रीनिंग से जुड़े सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया (एसडीपीआई) के एक सदस्य ने एएफ़पी को बताया कि इसे वास्तव में मस्जिद के विध्वंस के 32 साल पूरे होने पर  महाराष्ट्र में आयोजित किया गया था.

फ़ेसबुक पर 18 दिसंबर, 2024 को शेयर की गई पोस्ट का कैप्शन है, "बांग्लादेश में बड़ी- बड़ी स्क्रीन लगा बाबरी मस्जिद का विध्वंस दिखाया जा रहा है! हिन्दुओं के प्रति मुस्लिम समुदाय को उकसा कर भयंकर रक्तपात कराने के लिए!"

पोस्ट के साथ चार मिनट, नौ सेकंड का एक वीडियो है जिसमें भीड़ बड़े पर्दे पर एक वीडियो देख रही है. 16 वीं शताब्दी की बाबरी मस्जिद को भारतीय जनता पार्टी और उसके हज़ारों समर्थकों ने 1992 में नष्ट कर दिया था ताकि वहां राम मंदिर बनाया जा सके (आर्काइव्ड लिंक).

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट, 18 दिसंबर, 2024

अगस्त में प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को बांग्लादेश छोड़ भारत भागना पड़ा, जिसके बाद से ही पड़ोसी देश में साम्प्रदायिक तनाव चरम पर है.

यह वीडियो 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की 32वीं बरसी के बाद फ़ेसबुक और X पर समान दावों के साथ शेयर किया गया था. 

हालांकि गलत दावे की वीडियो में देखी गई बाबरी मस्जिद विध्वंश की स्क्रीनिंग वास्तव में महाराष्ट्र के मुंब्रा में हुई थी.

महाराष्ट्र में स्क्रीनिंग

वीडियो के कीफ़्रेम को गूगल रिवर्स इमेज और कीवर्ड सर्च करने पर हूबहू वही वीडियो मिला जिसे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया (एसडीपीआई) की महाराष्ट्र शाखा के आधिकारिक यूट्यूब अकाउंट पर 6 दिसंबर को अपलोड किया गया था (आर्काइव्ड लिंक).

एसडीपीआई पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया की पॉलिटिकल विंग, जिसे 2022 में कथित "आतंकवादी" लिंक होने के वजह से प्रतिबंधित कर दिया गया था (आर्काइव्ड लिंक).

यूट्यूब वीडियो का शीर्षक है, "बाबरी मस्जिद टाइमलाइन प्रदर्शनी | दारुल फलाह में एसडीपीआई मुंब्रा | ए जर्नी थ्रू हिस्ट्री."

नीचे गलत दावे की पोस्ट का वीडियो (बाएं) और एसडीपीआई के यूट्यूब अकाउंट पर शेयर की गई क्लिप (दाएं) के स्क्रीनशॉट्स की तुलना की गयी है.

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गलत दावे की पोस्ट का वीडियो (बाएं) और एसडीपीआई के यूट्यूब अकाउंट पर शेयर की गई क्लिप (दाएं) के स्क्रीनशॉट्स की तुलना

वीडियो में एसडीपीआई के झंडे और पार्टी के नाम वाला लाल और हरा बैनर भी देखा जा सकता है.

नीचे क्लिप में दिख रहे झंडे (बाएं) और एएफ़पी आर्काइव में 2021 की एक रैली में देखे गए झंडे (दाएं) की स्क्रीनशॉट तुलना की गयी है (आर्काइव्ड लिंक).

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क्लिप में दिख रहे झंडे (बाएं) और एएफ़पी आर्काइव में 2021 की एक रैली में देखे गए झंडे (दाएं) की स्क्रीनशॉट तुलना

एसडीपीआई की राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य अज़हर तंबोली ने एएफ़पी से पुष्टि की कि वीडियो मुंब्रा में एसडीपीआई द्वारा आयोजित डाक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग का है.

उन्होंने 20 दिसंबर को एएफ़पी को बताया, "बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 32वीं बरसी पर 6 दिसंबर 2024 को महाराष्ट्र के ठाणे के मुंब्रा इलाके में एकॉर्ड नाका स्थित दारुल फलाह मस्जिद के पास जनता के लिए बाबरी मस्जिद टाइमलाइन प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था."

विभिन्न कोणों से लिए गए समान वीडियो एसडीपीआई द्वारा अन्य सोशल मीडिया साइट जैसे इंस्टाग्राम और X (आर्काइव्ड लिंक यहां और यहां) पर शेयर किए गए थे.

गूगल स्ट्रीट व्यू पर मौजूद तस्वीरों से पता चलता है कि स्क्रीनिंग मुंब्रा में हुई थी, और बैकग्राउंड में दारुल फलाह मस्जिद को देखा जा सकता है (आर्काइव्ड लिंक).

नीचे गलत दावे की पोस्ट के एक दृश्य (बाएं) और गूगल स्ट्रीट व्यू पर क्षेत्र की एक छवि (दाएं) के स्क्रीनशॉट तुलना में एएफ़पी ने समानताओं को हाइलाइट किया है.

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गलत दावे की पोस्ट के एक दृश्य (बाएं) और गूगल स्ट्रीट व्यू पर क्षेत्र की एक छवि (दाएं) की स्क्रीनशॉट तुलना

एएफ़पी ने बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से शुरू हुए धार्मिक संघर्ष से जुड़ी फर्ज़ी सूचनाओं को यहां और यहां फ़ैक्ट-चेक किया है.

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