वीडियो बांग्लादेश में गरीब और बेघर लोगों की मदद का है न कि जबरन धार्मिक परिवर्तन का
- प्रकाशित 25 दिसंबर 2024, 14h21
- 3 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
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सोशल मीडिया साइट X पर 13 दिसंबर, 2024 को शेयर की गई पोस्ट का कैप्शन है, "बांग्लादेश मे एक साधु जटाजुट को काटकर मुसलमान बना दिया हैं. अभी भी वक्त है इस से ज्यादा क्या होगा अगर अभी खून नहीं खोला तो कभी कुछ नहीं होगा.."
पोस्ट में आगे लिखा है, "बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए अपनी आवाज़ उठाएं."
लगभग 55-सेकंड के इस वीडियो में लोगों के एक समूह को एक व्यक्ति के उलझे हुए बाल और दाढ़ी को जबरन काटते हुए और उसे नहलाते हुए दिखाया गया है.
इस फ़ुटेज को समान दावों के साथ यहां और यहां भी शेयर किया गया है.
हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद बांग्लादेश में साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति बनी हुई है. अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय, जिसे शेख हसीना का कोर समर्थक माना जाता है, कई तरह के प्रतिशोध और हिंसा का सामना कर रहा है (आर्काइव्ड लिंक).
नवंबर के अंत में मुखर हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ़्तारी के बाद फैली हिंसा और अशांति के दौरान ये वीडियो शेयर की जा रही है.
कोर्ट द्वारा जमानत से इनकार किए जाने के बाद उनके समर्थकों ने सुरक्षा बलों के साथ झड़प की और बाद में विरोध प्रदर्शन के वक़्त एक वकील की हत्या कर दी गई.
हालांकि वीडियो बांग्लादेश में धार्मिक तनाव से संबंधित नहीं है -- मूल वीडियो अपलोड करने वाले व्यक्ति ने कहा कि वह व्यक्ति एक मुस्लिम था जिसे मदद की ज़रूरत थी.
'मानवीय मदद'
वीडियो के कीफ़्रेम को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर 26 अक्टूबर, 2024 को "महबूब क्रिएशन 4" नामक फ़ेसबुक पेज पर वीडियो का लंबा संस्करण अपलोड किया गया मिला (आर्काइव्ड लिंक).
वीडियो का बांग्ला-भाषा कैप्शन है, "15 साल बाद, उसने अपने बाल कटवाए और नहाया", जिसके साथ "Save humanity" हैशटैग शामिल है.
नीचे गलत दावे की पोस्ट के वीडियो (बाएं) और फ़ेसबुक वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना है.
बांग्लादेश में रहने वाले एक कंटेंट क्रिएटर महबूब अफ़रीदी, जो इस फ़ेसबुक पेज को मैनेज करते हैं,नियमित रूप से अपने पेज पर वीडियो अपलोड करते हैं, जिसमें, उनके अनुसार, वो सड़कों पर रहने वाले लोगों की मदद करते हैं.
फ़ेसबुक पर 9 दिसंबर को एक लाइव स्ट्रीम में अफ़रीदी ने वीडियो के बारे में भारत में शेयर किये जा रहे गलत दावों को खारिज करते हुए कहा कि वह व्यक्ति मुस्लिम था.
अफ़रीदी ने बंगाली में कहा, "वीडियो में एक मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति को दिखाया गया है. इस वीडियो की वजह हमें उसके परिवार को खोजने में मदद मिली, जो मुस्लिम हैं."
"वे (भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स) किसी दूसरे देश को बदनाम करने के लिए किसी मानवीय कार्य का लाभ कैसे उठा सकते हैं?"
अफ़रीदी ने एएफ़पी को बताया कि उनकी "सेवा ज़रूरतमंद असहाय व्यक्तियों, विशेष रूप से सड़कों पर छोड़े गए लोगों की मदद करने के लिए समर्पित है, चाहे उनका धर्म या बैकग्राउंड कुछ भी हो".
उन्होंने कहा, "हम केवल ज़रूरतमंद लोगों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और बिना किसी भेदभाव के मदद करते हैं."
एएफ़पी ने बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से शुरू हुए धार्मिक संघर्ष से जुड़ी फर्ज़ी सूचनाओं को यहां और यहां फ़ैक्ट-चेक किया है.