बांग्लादेश हिंसा में मारे गए वकील से जोड़कर किया जा रहा दावा गलत है

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग कर रहे पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ़्तारी के बाद नवंबर में उनके समर्थकों और पुलिस के हुई बीच हिंसक झड़प के दौरान एक मुस्लिम वकील सैफ़ुल इस्लाम की मौत हो गई. इसके बाद सोशल मीडिया पर ये दावा किया जाने लगा कि सैफ़ुल इस्लाम चिन्मय दास के वकील थे. चटगांव  डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन ने इस दावे का खंडन किया है, साथ ही बांग्लादेश सरकार द्वारा जारी किए गए एक अदालती दस्तवेज से भी पता चलता है कि दास का प्रतिनिधित्व एक दूसरे वकील द्वारा किया जा रहा था.

वीडियो, जिसे फ़ेसबुक पर 27 नवंबर 2024 को शेयर किया गया है, के कैप्शन का एक हिस्सा कहता है, "बांग्लादेश में हिंदू पुजारी के वकील का मर्डर. कथित तौर पर सैफुल इस्लाम आलिफ की तब हत्या कर दी गई जब बांग्लादेश सम्मिलितो सनातन जागरण जोटे के नेता चिन्मय कृष्ण दास के समर्थकों ने उन्हें जेल ले जा रही जेल वैन को रोक दिया."

कैप्शन में आगे कहा गया है कि बांग्लादेश के चटगांव कोर्ट के बाहर चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के विरोध में बड़ी संख्या में लोग, जिनमें ज्यादातर हिंदू माने जा रहे थे, मौजूद थे, जब पुलिस ने कथित तौर पर कार्रवाई शुरू की और उन पर गोलियां चला दीं. कम से कम 7-8 अन्य लोग घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया.

पोस्ट में  सैफ़ुल इस्लाम की एक तस्वीर भी शेयर की गई है.

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट, 27 नवंबर, 2024

अगस्त में छात्रों के नेतृत्व वाली क्रांति, जिसके कारण प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को बांग्लादेश छोड़ भारत जाना पड़ा, के बाद से ही पड़ोसी देश में साम्प्रदायिक तनाव चरम पर है (आर्काइव्ड लिंक).

चिन्मय दास बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले एक नवगठित समूह के प्रवक्ता हैं. दास पहले इंटरनेशनल सोसाइटी फ़ॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) के सदस्य थे.

बांग्लादेश की एक अदालत ने उन्हें 26 नवंबर को देशद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार करने के बाद जमानत देने से इनकार कर दिया और जेल भेज दिया. इसी बीच उनके समर्थकों और पुलिसकर्मियों के बीच हुई झड़प में एक मुस्लिम सरकारी वकील सैफ़ुल इस्लाम अलिफ़ की मौत हो गई.

इस घटना को सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ ज़ी न्यूज़, फ़र्स्टपोस्ट, इकोनॉमिक टाइम्स, और एशियानेट न्यूज़ जैसे अन्य कई भारतीय मीडिया संस्थानों ने प्रकाशित किया.

सोशल मीडिया साइट X और फ़ेसबुक पर भी कई पोस्ट ने मिलते जुलते गलत दावे शेयर किए.

दूसरा वकील

हालांकि चटगांव डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नाज़िमुद्दीन चौधरी के अनुसार ये दावा गलत है.

चौधरी ने 11 दिसंबर को एएफ़पी को बताया, "मृत वकील न तो चिन्मय दास का प्रतिनिधित्व कर रहा था न ही वह अभियोजन टीम में था. सैफ़ुल को घर लौटते समय हिंसक भीड़ ने मार डाला."

उन्होंने आगे कहा, "हत्या के बाद मामला दर्ज़ किया गया जिसके बाद 11 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है."

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भी 27 नवंबर को फ़ेसबुक पर शेयर किए गए एक बयान में दावों को गलत बताया (आर्काइव्ड लिंक).

बयान में कहा गया है, "कुछ भारतीय मीडिया दावा कर रहे हैं कि वकील सैफ़ुल इस्लाम अलिफ़, जिनकी आज चटगांव में बेरहमी से हत्या कर दी गई, चिन्मय कृष्ण दास का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. यह दावा गलत है और गलत इरादे से फैलाया जा रहा है."

इसमें कहा गया है कि दास का प्रतिनिधित्व सुबाशीष शर्मा नामक वकील कर रहे हैं.

अंतरिम सरकार की प्रेस विंग ने पत्रकारों को दास की जमानत याचिका की एक प्रति भी प्रदान की, जिस पर वकील सुबाशीष शर्मा का नाम था. फ़ाइलिंग में कहीं भी अलीफ़ का नाम नहीं दर्शाया गया था.

नीचे दस्तावेज के स्क्रीनशॉट हैं जिनमें सुबाशीष शर्मा के नाम का स्टाम्प दिखाया गया है.

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दस्तावेज के स्क्रीनशॉट, सुबाशीष शर्मा के नाम के स्टाम्प के साथ

द डेली स्टार और प्रोथोम अलो सहित बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट्स, जिन्होंने अलिफ़ की हत्या पर रिपोर्ट की है, ने भी अलिफ़ को हिंदू धर्मगुरु के मामले से जुड़ा नहीं बताया (आर्काइव्ड लिंक यहां और यहां).

एएफ़पी ने बांग्लादेश अशांति से जुड़े फ़ेक न्यूज़ को यहां और यहां फ़ैक्ट चेक किया है.

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