वीडियो बांग्लादेश में हिंदू मंदिर पर नहीं मज़ार में हुए तोड़फोड़ को दिखाता है
- प्रकाशित 1 जनवरी 2025, 07h55
- 3 मिनट
- द्वारा Sachin BAGHEL, एफप भारत
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एक यूज़र ने 2 दिसंबर 2024 को वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, "देखिए बांग्लादेश के अलग-अलग शहरों में किस तरह हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की जा रही है और हिंदू श्रद्धालुओं को पीटा जा रहा है. लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार पर पूरी दुनिया चुप है."
वीडियो में दिख रहा है कि लोगों का एक समूह लाठियों और ईंटों के साथ एक ढांचे को गिराने की कोशिश कर रहा है.
इसी साल अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में चले लम्बे आंदोलन के चलते प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को पड़ोसी देश भारत भागने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके बाद से ही बांग्लादेश में सांप्रदायिक तनाव ज़ोरों पर है.
25 नवंबर को एक नवगठित हिंदू समूह के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जो बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे, को राजद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार किया गया (आर्काइव्ड लिंक).
बांग्लादेश के दूसरे सबसे बड़े शहर चटगांव की एक अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसके कारण अदालत के बाहर उनके समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हो गई.
इसके बाद 29 नवम्बर को शहर के तीन हिंदू मंदिरों पर हमले हुए (आर्काइव्ड लिंक).
इसी प्रकार के समान दावे से यह वीडियो X पर यहां और फ़ेसबुक पर यहां शेयर किया गया.
हालांकि यह वीडियो मंदिर पर नहीं अपितु मज़ार पर हमला दिखाता है.
मज़ार पर हमला
गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर एएफ़पी को फ़ेसबुक पर 30 अगस्त, 2024 को पोस्ट किया हुआ एक ऐसा ही वीडियो मिला, जिसमें लोगों को समान ढांचे को तोड़ते हुए देखा जा सकता है (आर्काइव्ड लिंक).
पोस्ट के बांग्ला कैप्शन के अनुसार इसमें हज़रत बाबा अली पगला के मज़ार को ध्वस्त करते हुए दिखाया गया है.
नीचे गलत पोस्ट में मौजूद वीडियो (बाएं) और फ़ेसबुक पर शेयर की गई क्लिप (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना की गई है.
आगे सम्बंधित कीवर्ड से खोजने पर बांग्लादेशी समाचार साइट द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट्स में मिलते-जुलते दृश्य मिले. रिपोर्ट्स में कहा गया था कि मज़ार पर हमले का नेतृत्व एक अन्य स्थानीय मुस्लिम मौलवी ने किया था, जिसे बाद में ग्रामीणों ने बर्खास्त कर दिया (आर्काइव्ड लिंक).
नीचे गलत पोस्ट के वीडियो (बाएं) और समाचार रिपोर्टों (दाएं) में उपयोग किये गए दृश्यों के बीच एक स्क्रीनशॉट तुलना में एएफ़पी द्वारा हाइलाइट की गई समानताएं हैं.
इमान अली, जो बाबा अली के वंशज हैं, ने 9 दिसंबर को एएफ़पी को बताया कि वीडियो में दिख रही ईमारत मज़ार -- एक मुस्लिम स्थल -- थी, हिंदू मंदिर नहीं.
उन्होंने कहा कि हमला 29 अगस्त को हुआ था जब पास की एक मस्जिद के मुसलमानों ने "अचानक मज़ार के ढांचे पर हमला कर उसको तोड़ दिया था".
अली ने कहा कि हमलावरों का आरोप था कि मज़ार पर "इस्लामी मूल्यों के ख़िलाफ़" गतिविधियां होती थी.