
ईरान-इज़रायल संघर्ष से जोड़कर शेयर किया जा रहा ये वीडियो AI जेनरेटेड है
- प्रकाशित 24 जून 2025, 15h53
- 3 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
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X पर जून 17 को शेयर किये गए पोस्ट का कैप्शन है: "मोसाद को लेकर पूरी दुनियाँ में इजराइली डंका पीट रहा था कि ये मेरी intelligence एजेन्सी मोसाद बहोत ताक़तवर है."
कैप्शन आगे कहता है: "ईरान ने एक ही हाइपरसोनिक मिसाइल से पूरा मोसाद मुख्यालय हवा में उड़ा दिया."
पोस्ट में शेयर किये गए आठ सेकंड के वीडियो में एक जबरदस्त धमाके के बाद एक इमारत पूरी तरह नष्ट होती दिखाई देती है. वीडियो के साथ दावा किया गया कि यह "मोसाद की जलती हुई इमारत" है.

फ़ेसबुक पर भी कई पोस्ट में इस वीडियो को ईरान और इज़रायल के बीच चल रहे संघर्ष का बताकर गलत दावे से शेयर किया गया है.
इन हमलों में ईरान में सैकड़ों और इज़रायल में लगभग दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है (आर्काइव्ड लिंक).
मध्य-पूर्व के ये दोनों प्रतिद्वंदी देश, इतिहास की अब तक की सबसे गंभीर टकराव की स्थिति में, लगातार एक-दूसरे पर हवाई हमले कर रहे हैं. यह टकराव इज़रायल के ईरान पर अचानक हमले, जिनका निशाना न्यूक्लियर और सैन्य ठिकाने थे, के बाद शुरू हुआ (आर्काइव्ड लिंक).
तेहरान का कहना है कि उसके हमलों में इज़रायल के कई "संवेदनशील" सुरक्षा ठिकाने शामिल थे, जिनमें मोसाद के मुख्यालय और वायुसेना के बेस भी शामिल हैं (आर्काइव्ड लिंक).
अमेरिका, जो इज़रायल का सहयोगी है, भी इस सैन्य अभियान में शामिल हो गया और उसने ईरान के भूमिगत यूरेनियम संवर्धन केंद्र पर बड़े बंकर-बस्टिंग बमों से हमला किया और दो अन्य परमाणु ठिकानों को भी निशाना बनाया.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 23 जून को घोषणा की कि ईरान और इज़रायल के बीच सीज़फायर पर सहमति बन गई है (आर्काइव्ड लिंक).
वीडियो के कीफ़्रेम को रिवर्स इमेज सर्च करने पर यह क्लिप ईरान-इज़रायल युद्ध शुरू होने से पहले -- मई 18 को -- टिकटॉक पर पोस्ट किया गया मिला (आर्काइव्ड लिंक).
इस टिकटॉक अकाउंट पर पहले भी AI जेनरेटेड वीडियो पोस्ट किए जा चुके हैं और प्रोफ़ाइल पर स्पष्ट तौर पर लिखा है: "मैं जो भी वीडियो पोस्ट करता हूं, वे सभी AI जेनरेटेड होते हैं."

एएफ़पी ने अपने विश्लेषण में इस वीडियो में कई गड़बड़ियां पाई -- जैसे विस्फोट के बाद मलबे का अचानक गायब हो जाना.
भले ही जेनरेटिव AI तकनीक में जबरदस्त उन्नति हुई हो लेकिन अभी भी कई ऐसी गलतियां रह जाती हैं जिससे उनके एडिटेड होने का संकेत मिल जाता है. ऐसे संकेत यह दर्शाते हैं कि वीडियो असली नहीं है और AI टूल्स की मदद से बनाया गया है.

एएफ़पी ने ईरान-इज़रायल संघर्ष से संबंधित अन्य फ़ैक्ट-चेक यहां किये हैं.
