दक्षिण अफ्रीका में 2016 में हुई घटना के वीडियो को सूडान का बताकर गलत दावे से शेयर किया गया
- प्रकाशित 21 नवंबर 2025, 07h55
- 3 मिनट
- द्वारा Akshita KUMARI, एफप भारत
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अक्टूबर 2025 के अंत में सूडान के पश्चिमी शहर अल-फ़शर में सेना के मुख्य ठिकाने पर अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फ़ोर्सेज़ (RSF) के कब्ज़े के बाद सोशल मीडिया पर एक पुराना वीडियो इस गलत दावे के साथ शेयर किया गया कि इसमें इस्लामी चरमपंथी एक ईसाई व्यक्ति को ताबूत में ज़िंदा दफ़ना रहे हैं. यह वीडियो सबसे पहले 2016 की खबरों में दिखा था, जिनमें दक्षिण अफ्रीका में श्वेत किसानों द्वारा एक अश्वेत व्यक्ति को जबरन ताबूत में डालने की घटना की रिपोर्ट थी.
वीडियो फ़ेसबुक पोस्ट में 3 नवंबर, 2025 को शेयर की गई थी.
पोस्ट के कैप्शन का एक अंश कहता है, "सूडान में इस्लामिक आतं-कवादियों द्वारा निर्दोष ईसाइयों को जिंदा दफनाया जा रहा है..."
20 सेकंड के इस क्लिप में एक व्यक्ति ताबूत के अंदर दुबका दिखाई दे रहा है, जबकि दूसरा आदमी ज़बरदस्ती उसका ढक्कन उसके सिर पर बंद करने की कोशिश कर रहा है.
चेतावनी
यह वीडियो सूडान की सेना और वहां के एक अर्धसैनिक समूह के बीच दो साल से भी ज़्यादा समय से चल रहे सत्ता संघर्ष के दौरान ऑनलाइन शेयर की गई है.
यह लड़ाई अप्रैल 2023 से जारी है, जिसमें सेना प्रमुख अब्देल फतह अल-बुरहान की सेनाएं उनके पूर्व डिप्टी, आरएसएफ कमांडर मोहम्मद हमदान डागलो की सेनाओं के खिलाफ़ लड़ रही हैं (आर्काइव्ड लिंक).
आएसएफ़ ने 26 अक्टूबर को एल-फ़शर पर कब्ज़ा कर लिया, जो पश्चिमी दारफ़ुर में सेना का अंतिम बड़ा गढ़ था. इस कब्ज़े के साथ बड़े पैमाने पर हत्याओं, यौन हिंसा और लूटपाट की खबरें भी सामने आईं, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई.
इस संघर्ष में हज़ारों लोग मारे गए हैं और लाखों को अपने घरों से भागने पर मजबूर होना पड़ा है, क्योंकि हालिया झड़पें नए इलाकों में फैल गई हैं (आर्काइव्ड लिंक).
इस क्लिप को इसी तरह के दावों के साथ फ़ेसबुक और X पोस्ट में भी शेयर किया गया है. पोस्ट पर किए गए इस्लामोफ़ोबिक कमेंट्स ये बताते हैं कि यूज़र्स ने इस दावे को सच माना है.
एक यूज़र ने लिखा, "इनका इलाज़ करना पड़ेगा बहुत ज़ल्दी इस्लाम दुनिया के लिए खतरा है."
एक अन्य ने कहा: "क्रुर विदेशी आक्रमणकारी मजहबों की समीक्षा कर उसे प्रतिबंधित करना चाहिए."
लेकिन यह वीडियो पुराना है और सूडान में चल रहे मौजूदा संकट से पहले का है.
असंबंधित घटना
गलत दावे से शेयर किए गए वीडियो के की-फ़्रेम्स को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर चाइना ग्लोबल टेलीविज़न नेटवर्क (CGTN) के यूट्यूब चैनल पर 18 नवंबर, 2016 को अपलोड किया हुआ वही वीडियो मिला (आर्काइव्ड लिंक).
वीडियो का टाइटल है, "दक्षिण अफ़्रीकी श्वेत पुरुष एक अश्वेत व्यक्ति को ज़बरदस्ती ताबूत में डाल रहे हैं."
यह क्लिप CGTN के ऑफ़िशियल फ़ेसबुक पेज पर भी इसी कैप्शन के साथ शेयर की गई थी (आर्काइव्ड लिंक).
यह फ़ुटेज मीडिया संगठन अल जज़ीरा द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में भी शामिल किया गया था, जिसमें कहा गया था कि दक्षिण अफ्रीका में दो श्वेत पुरुषों पर हमला करने का आरोप लगाया गया है, क्योंकि एक वीडियो में उन्हें एक अश्वेत व्यक्ति को ताबूत में ज़बरदस्ती डालते और उसे आग लगाने की धमकी देते हुए दिखाया गया है (आर्काइव्ड लिंक).
Willem Oosthuizen और Theo Martins Jackson ने पूर्वी प्रांत म्पुमलंगा में हुई इस घटना के लिए खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उनका इरादा केवल Victor Mlotshwa को डराने का था, क्योंकि उसने कथित तौर पर उनके खेतों से कॉपर केबल चुरा लिए थे.
एएफ़पी के अनुसार 25 अगस्त, 2017 को दक्षिण अफ्रीकी जज ने दोनों श्वेत किसानों को हत्या के प्रयास का दोषी पाया था (आर्काइव्ड लिंक).
दोनों को उसी साल अक्टूबर में 16 और 19 साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ऑफ अपील ने 2019 में उनकी जेल की अवधि कम कर दी (आर्काइव्ड लिंक).
दक्षिण अफ़्रीका में 1994 में श्वेत-अल्पसंख्यक शासन के खत्म होने के बाद भी नस्लीय भेदभाव जारी है और सोशल मीडिया पर इस तरह की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं.
एएफ़पी ने दुनिया के अन्य हिस्सों में राजनीतिक संकट के कारण भारत में फैल रही गलत सूचनाओं को यहां और यहां फ़ैक्ट चेक किया है.