यमुना एक्सप्रेस-वे पर चलती एम्बुलेंस से मरीज़ के गिरने का वीडियो एआई-जेनरेटेड है
- प्रकाशित 22 दिसंबर 2025, 09h34
- 3 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था पर भारी दबाव है, यहां भ्रष्टाचार, स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी, अस्पतालों में भीड़ और खराब सुविधाओं जैसी समस्याएं लंबे समय से बनी हुई हैं. हालांकि, जैसा सोशल मीडिया पर दावा किया गया है, दिसंबर में किसी मरीज़ के चलती एंबुलेंस से गिरने की कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं है. भारतीय जनता पार्टी की आलोचना करते हुए जिस घटना का वीडियो शेयर किया जा रहा है, वह वास्तव में एआई से बनाया गया है, जिसके क्रिएटर ने एएफ़पी से इस बात की पुष्टि भी की है.
X पर 10 दिसंबर 2025 को शेयर की गई पोस्ट का कैप्शन है: "सोचिए आप उत्तर प्रदेश में हैं. क्या यही आदर्श राज्य होना चाहिए?"
वीडियो में स्ट्रेचर पर लेटा एक मरीज़ कथित तौर पर हाइवे पर चलती एंबुलेंस के पिछले दरवाज़े से स्ट्रेचर समेत सड़क पर गिरकर लुढ़कता नज़र आता है.
वीडियो के ऊपर टेक्स्ट है: "यमुना एक्सप्रेसवे: बीजेपी सरकार मरीजे के साथ कितना सक्रिय है. रामराज्य है या बीजेपी राज. उत्तर प्रदेश के विकास की स्पीड."
उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में भ्रष्टाचार, लापरवाही और अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं के मामलों की रिपोर्ट्स कई स्थानीय समाचारों में लगातार आती रही हैं (आर्काइव्ड लिंक यहां, यहां).
भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि वह उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की योजना बना रही है, ताकि बीमारी नियंत्रण और चिकित्सा शिक्षा को बेहतर किया जा सके (आर्काइव्ड लिंक).
हालांकि, समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लापरवाही और कुप्रबंधन का हवाला देते हुए बीजेपी पर राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को "तबाह करने" का आरोप लगाया है (आर्काइव्ड लिंक).
चलती एंबुलेंस से मरीज के गिरने वाला वीडियो फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी इसी तरह के दावे के साथ शेयर किया गया है.
गलत दावे की पोस्ट में किये गये कमेंट्स से पता चलता है कि लोगों ने इस वीडियो को असली घटना मान लिया है.
एक यूज़र ने लिखा, "उत्तर प्रदेश में मरीज़ को सिर्फ़ भगवान ही बचा सकता है. उत्तर प्रदेश सरकार को शर्म आनी चाहिए!"
एक अन्य ने लिखा, "आम आदमी की ज़िंदगी की कोई कीमत नहीं है, भ्रष्टाचार ने इस राज्य को बर्बाद कर दिया है."
हालांकि, यमुना एक्सप्रेसवे पर हाल में ऐसी किसी घटना की कोई भी रिपोर्ट नहीं है.
एंगेजमेंट बढ़ाने का तरीका
वीडियो के कीफ़्रेम को रिवर्स इमेज सर्च करने पर यही वीडियो 8 दिसंबर को "Bargachhi Krishi Farm" नाम के एक फ़ेसबुक पेज पर मिला (आर्काइव्ड लिंक).
पोस्ट के कैप्शन में खेती से जुड़े कई हैशटैग हैं, लेकिन उसमें न तो उत्तर प्रदेश का जिक्र है और न ही यमुना एक्सप्रेसवे का.
पेज के ओनर हेमसागर भट्टराई ने 15 दिसंबर को एएफ़पी को बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एंगेजमेंट बढ़ाने के लिए यह वीडियो एआई टूल की मदद से बनाया था.
दोहा में काम करने वाले नेपाली मजदूर भट्टराई ने कहा कि वह यह पेज "अतिरिक्त आमदनी और मनोरंजन" के लिए चलाते हैं और चीनी सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म से वीडियो डाउनलोड कर अपने अकाउंट पर अपलोड करते हैं.
उन्होंने कहा, "यह पहली बार था जब मैंने चैटजीपीटी और सोरा एआई का इस्तेमाल करके वीडियो बनाया, और वह वायरल हो गया."
वीडियो के बारीक विश्लेषण में कई गड़बड़ियां दिखती हैं, जिनसे स्पष्ट होता है यह एआई कंटेंट है.
मरीज़ के चेहरे पर लगा ऑक्सीजन मास्क किसी सिलेंडर से जुड़ा नहीं दिखता और स्ट्रेचर के एंबुलेंस से गिरने पर भी वह अलग नहीं होता.
एंबुलेंस में एक दरवाज़ा भी गायब है. सड़क के दूसरी तरफ अजीब आकार के वाहन दिखाई देते हैं और वीडियो में कुछ गाड़ियां अचानक से स्क्रीन पर दिखाई देती हैं.
एएफ़पी ने इस फ़ुटेज को Hive Moderation के एआई वीडियो डिटेक्टर में अपलोड किया, जिसमें यह पता चला कि वीडियो के "एआई से बनाये गए या डीपफेक कंटेंट" होने की 95 प्रतिशत संभावना है (आर्काइव्ड लिंक).
एएफ़पी ने पहले भी गलत दावे से शेयर किये गये एआई-जेनरेटेड कंटेंट को फ़ैक्ट-चेक किया है.
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