ईवीएम से 'छेड़छाड़' के दावे से पुराना क्लिप 2024 के आम चुनाव से जोड़कर शेयर किया गया

सोशल मीडिया पोस्ट्स में एक वीडियो, जिसमें चुनाव अधिकारी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में बटन दबाते दिख रहे हैं, शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि यह भारतीय जनता पार्टी द्वारा 2024 के चुनावी नतीजों में ईवीएम से छेड़छाड़ कर मतदान प्रभावित करने का प्रयास है. हालांकि यह दावा गलत है  क्योंकि वीडियो 2017 से ही आनलाइन शेयर किया जा रहा है. भारतीय चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव अधिकारी सही तरीके से ईवीएम का पुराना डेटा हटाने में विफ़ल रहे थे, जिसके कारण मशीन से गलत मतपत्र निकलने लगा था.

वीडियो को फ़ेसबुक पर 19 अप्रैल 2024 को यहां शेयर किया गया है.

पोस्ट का कैप्शन है, "2024 के लोकसभा चुनाव में वोटिंग के दौरान ईबीएम में बटन दबाया हाथी पर पर्ची निकली कमल की."

गलत दावे के साथ शेयर किया गया वीडियो एबीपी न्यूज़ की एक समाचार रिपोर्ट से लिया गया है जिस के उपर टेक्स्ट है, "बटन दबाया हाथी पर पर्ची निकली कमल की."

एक-मिनट, 30-सेकंड की क्लिप में चुनाव अधिकारियों के एक समूह द्वारा ईवीएम का बटन दबाने पर भाजपा की पर्ची निकलते हुए दिखाया गया है.

गलत दावे की पोस्ट के वीडियो में न्यूज़ एंकर के अनुसार मध्यप्रदेश के भिंड ज़िले के 19 अधिकारियों को विपक्षी दलों -- कांग्रेस और आम आदमी पार्टी -- की शिकायतों के बाद निलंबित कर दिया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि किसी अन्य पार्टी के उम्मीदवार के लिए बटन दबाने पर भी मशीन से भाजपा के पक्ष में पर्चियां निकली.

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट,26 अप्रैल 2024

वीडियो को इसी दावे से फ़ेसबुक पर यहां और X पर यहां शेयर किया गया है.

यह वीडियो देश में लगभग छह सप्ताह तक चलने वाले आम चुनाव की शुरुआत में आनलाइन शेयर किया गया है. 

भारत में 2004 से ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के ज़रिये मतदान की प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी जिसमें चुने हुए उम्मीदवार के नाम और उसके चुनाव चिह्न क्रमांक से संबंधित बटन को दबाकर अपना मत डाला जाता है (आर्काइव्ड लिंक).

वोटिंग के बाद मशीन में एक पर्ची, पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) दिखाई देती है जो डाले गए मत की जानकारी के साथ कुछ सेकण्ड्स तक स्क्रीन पर दिखती है (आर्काइव्ड लिंक).

विपक्षी दल ईवीएम की विश्वसनीयता पर बार-बार संदेह जताते रहे हैं - कांग्रेस के राहुल गांधी ने अप्रैल के चुनावों से पहले आरोप लगाया था कि ये मशीनें हैक की जा सकती हैं (आर्काइव्ड लिंक).

हालांकि यह दावा गलत है. यह वीडियो एक न्यूज़ रिपोर्ट से ली गयी है जिसमें 2017 में वोटिंग मशीनों के साथ हुई एक घटना के बारे में बताया गया है.

2017 की वीडियो

गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के साथ रिवर्स इमेज सर्च करने पर असल वीडियो 1 अप्रैल, 2017 को ABP न्यूज़ की यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किया हुआ मिला (आर्काइव्ड लिंक). 

वीडियो की हेडलाइन है, "ईवीएम विवाद: भिंड के एसपी, कलेक्टर हटाए गए."

गलत दावे से शेयर की गयी क्लिप यूट्यूब वीडियो के पहले 1-मिनट, 30-सेकंड से मेल खाती है.

रिपोर्ट के मुताबिक वीडियो में अधिकारियों को भिंड में वोटिंग मशीन का परीक्षण करते हुए दिखाया गया है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि परीक्षण के दौरान, मशीन की वीवीपैट यूनिट ने वोटिंग मशीन पर चुने गए उम्मीदवार की पार्टी के चिह्न के बजाए, भाजपा के चुनाव चिह्न को प्रदर्शित करने वाली पर्चियां निकाली.

नीचे गलत दावे की पोस्ट में शेयर किये गए वीडियो (बाएं) और ABP न्यूज़ के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किये गए असल वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट्स की तुलना है.

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गलत दावे की पोस्ट में शेयर किये गए वीडियो (बाएं) और ABP न्यूज़ के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किये गए असल वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट्स की तुलना

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने 1 अप्रैल, 2017 को 20 अधिकारियों को निलंबित कर दिया था (आर्काइव्ड लिंक). 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 7 अप्रैल, 2017 को चुनाव आयोग ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि परीक्षण में इस्तेमाल की गई किसी भी मशीन के साथ छेड़छाड़ की गई थी (आर्काइव्ड लिंक). 

चुनाव आयोग ने भी X पर पोस्ट किया कि ऑनलाइन शेयर किया गया वीडियो 2017 का था और उस समय इस घटना पर दिये गये अपने बयान का हवाला दिया (आर्काइव्ड लिंक). 

पोस्ट का आंशिक कैप्शन है: "ईवीएम और वीवीपैट की सटीकता संदेह से परे है."

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