इंटरनेशल कोर्ट ने फ़िलीस्तीन पर इज़रायल के कब्ज़े को अवैध बताया है, न कि इज़रायल देश को

फ़िलिस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी द्वारा प्रेस से बात करते हुए एक वीडियो को सोशल मीडिया पोस्ट्स में इस गलत दावे से शेयर किया जा रहा है कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने यह फैसला सुनाया कि इज़रायल एक "अवैध देश" है. जबकि न्यायालय ने इज़रायल के दशकों से फ़िलिस्तीनी क्षेत्र पर कब्ज़े को गैरकानूनी पाया और कहा कि इसे "जितनी जल्दी हो सके" समाप्त किया जाना चाहिए.

वीडियो को फ़ेसबुक पर यहां 4 अक्टूबर 2024 को शेयर किया गया है.

पोस्ट का कैप्शन है, "अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा इज़राइल को एक अवैध राज्य घोषित किया गया है. यह भी निर्णय लिया गया कि इसे दुनिया भर में एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं दी जानी चाहिए. अंत में न्याय की जीत हुई."

पोस्ट में तुर्की के सरकारी मीडिया प्रसारक टीआरटी वर्ल्ड का एक वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें फ़िलिस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी को 19 जुलाई को इज़रायल-गाज़ा युद्ध पर ICJ द्वारा अपनी राय जारी करने के बाद प्रेस से बात करते हुए दिखाया गया था (आर्काइव्ड लिंक).

मलिकी ने प्राग की राजधानी हेग में संवाददाताओं से कहा कि ICJ की यह राय "फ़िलिस्तीन, न्याय और अंतर्राष्ट्रीय कानून के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण" है.

इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ICJ की राय को "झूठ का फैसला" करार दिया (आर्काइव्ड लिंक).

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट

वीडियो को इसी दावे से फ़ेसबुक पर यहां और X पर यहां शेयर किया गया है.

इज़रायल पर 7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा किए गए हमले के बाद युद्ध से जुड़ी कई गलत सूचनायें सोशल मीडिया पर फैलने लगीं.

हमले के परिणामस्वरूप 1,205 लोगों की मौत हुई, जिनमें से ज़्यादातर आम नागरिक थे, यह जानकारी इज़रायल के आधिकारिक आंकड़ों पर आधारित AFP की टैली से मिली, जिसमें अगवा किये गये बंधकों की हत्या भी शामिल है.

आतंकवादियों द्वारा पकड़े गए 251 बंधकों में से 97 अभी भी गाज़ा में हैं, जिनमें से 33 के बारे में इज़रायली सेना का कहना है कि वे मर चुके हैं.

हमास द्वारा संचालित क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, इज़रायल के जवाबी सैन्य हमले में गाज़ा में कम से कम 41,965 लोग मारे गए हैं, जिनमें से ज़्यादातर आम नागरिक हैं. संयुक्त राष्ट्र ने भी इन आंकड़ों को विश्वसनीय बताया है.

ICJ की सुनवाई

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अनुरोध पर 19 जुलाई को एक गैर-बाध्यकारी एडवाइजरी देते हुए ICJ ने कहा कि फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों पर इज़रायल का निरंतर कब्जा अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ़ है.

जून 1967 में, इज़रायल ने छह दिनों के युद्ध में अपने कुछ अरब पड़ोसियों को हराकर, वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम पर कब्ज़ा कर लिया था, जो उस समय जॉर्डन के कब्ज़े में था. इज़रायल ने सीरिया से गोलान हाइट्स और मिस्र से गाज़ा पट्टी और सिनाई प्रायद्वीप पर भी कब्ज़ा कर लिया था.

इसके बाद इज़रायल ने कब्ज़ा किए गए अरब क्षेत्र को बसाना शुरू कर दिया. बाद में संयुक्त राष्ट्र ने फ़िलिस्तीनी क्षेत्र पर कब्ज़े को अवैध घोषित कर दिया और काहिरा ने 1979 में इज़रायल के साथ अपने शांति समझौते के तहत सिनाई को वापस पा लिया.

 ICJ ने इज़रायल की नीतियों -- जैसे कि कब्ज़े वाले वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम में बस्तियों का निर्माण, जिसमें क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग, भूमि पर स्थायी नियंत्रण और फ़िलिस्तीनियों के खिलाफ़ भेदभावपूर्ण कानून शामिल हैं --की ओर इशारा करते हुए कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है.

न्यायालय ने अन्य देशों से यह भी कहा कि वे इज़रायल को हथियार आपूर्ति बंद करने की दिशा में कदम उठाएं, जब "संदेह करने के लिए उचित आधार हों कि उनका उपयोग कब्ज़े वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में किया जा सकता है"

हालांकि, 83 पेज की इस एडवाइजरी में कहीं भी न्यायालय ने इज़रायल को "अवैध देश" घोषित नहीं किया है (आर्काइव्ड लिंक).

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