इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का पुराना वीडियो गलत दावे से शेयर किया गया
- प्रकाशित 8 नवंबर 2024, 11h50
- 4 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
वीडियो को X पर यहां 19 अक्टूबर 2024 को शेयर किया गया है.
पोस्ट का कैप्शन है, "सऊदी अरब का एक शेख नेतन्याहू को शिया हिजबुल्ला आतंकियों के सफाए के लिए दुवाएं दे रहा है. भारत के नकली मुसलमान इजरायल के खिलाफ नारे लगाए जा रहे हैं."
इस पोस्ट को 250,000 से ज़्यादा बार देखा गया है --जिसमें इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अरब पोशाक पहने एक व्यक्ति से वीडियो कॉल पर बात करते दिख रहे हैं.
ज्ञात हो कि सितंबर में बेरूत पर हुए इज़रायली हमले में लेबनान स्थित "हिज़्बुल्लाह" समूह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत हो गई थी और कुछ ही दिनों बाद, उनके स्थान पर आने वाले मौलवी, हाशेम सफ़ीद्दीन भी एक अन्य हमले में मारे गए थे (आर्काइव्ड लिंक).
वीडियो को इसी दावे से फ़ेसबुक पर यहां और X पर यहां शेयर किया गया है.
इज़रायल ने गाज़ा युद्ध को लेकर लगभग एक साल तक चली सीमा-पार झड़पों के बाद ईरान समर्थित समूह हिज़्बुल्लाह के लड़ाकों को 30 सितंबर को टारगेट कर आक्रमण शुरू किया, जिसका उद्देश्य लेबनान में हिज़्बुल्लाह के प्रभाव को कम करना था (आर्काइव्ड लिंक).
लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर एएफ़पी द्वारा तैयार की गई टैली के मुताबिक, हिज़्बुल्लाह के विरुद्ध इज़रायली बमबारी अभियान में लगभग 1,700 से अधिक लोग मारे गए, हालांकि वास्तविक संख्या संभवतः इससे अधिक है.
इज़रायल, गाज़ा पट्टी में हमास के खिलाफ़ 7 अक्टूबर, 2023 को फ़िलिस्तीनी उग्रवादी समूह के हमले के बाद से लड़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप इज़रायल में 1,206 लोगों की मृत्यु हुई, जिनमें से अधिकांश आम नागरिक थे.
उस दिन अपहृत किए गए 251 लोगों में से 97 अभी भी गाज़ा में बंधक हैं, और 34 को इज़रायली सेना द्वारा मृत घोषित कर दिया गया है.
हमास द्वारा संचालित क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, गाज़ा में इज़रायल के जवाबी सैन्य हमले में 43,000 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें से अधिकांश आम नागरिक हैं. संयुक्त राष्ट्र भी इस आंकड़े को विश्वसनीय मानता है.
हमास और हिज़्बुल्लाह दोनों को ही इज़रायल के खिलाफ़ ईरान के गठबंधन का साथ हासिल है.
सऊदी ब्लॉगर का वीडियो
वीडियो के ऊपरी-दाएं कोने में तुर्की के सरकारी मीडिया प्रसारक TRT का लोगो स्पष्ट देखा जा सकता है.
TRT के यूट्यूब चैनल पर सर्च करने पर हमें यह वीडियो, इज़रायल-हमास युद्ध शुरू होने से कई साल पहले, 27 दिसंबर, 2019 को पोस्ट किया गया मिला (आर्काइव्ड लिंक).
यूट्यूब वीडियो की अरबी भाषा की हेडलाइन है, "नेतन्याहू की सऊदी ब्लॉगर मोहम्मद सऊद के साथ बातचीत."
नीचे गलत दावे की पोस्ट के वीडियो (बाएं) और TRT के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना दी गई है.
नेतन्याहू ने कथित तौर पर 26 दिसंबर, 2019 को एक सऊदी ब्लॉगर और इज़रायल के मुखर समर्थक मोहम्मद सऊद के साथ 2 मार्च, 2020 को होने वाले इज़रायली विधायी चुनावों से पहले फ़ेसटाइम कॉल की थी.
मिडिल ईस्ट आई की रिपोर्ट के अनुसार, सऊद ने नेतन्याहू की पार्टी के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया था और उनके अभियान में सफ़लता की कामना भी की थी (आर्काइव्ड लिंक).
TRT के यूट्यूब वीडियो के अनुसार ब्लॉगर के साथ नेतन्याहू का मज़ाक कि वह "एक शानदार लिकुडनिक बनेगा" ने ऑनलाइन विवाद को भी जन्म दिया था.
सऊदी ब्लॉगर, जुलाई 2019 में इज़रायल का दौरा करने वाले अरब प्रायद्वीप, मिस्र और इराक़ के कुर्दिस्तान के पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा था (आर्काइव्ड लिंक).
यात्रा के दौरान उसे फ़िलिस्तीनियों द्वारा "देशद्रोही" और "ज़ायोनीवादी" कहकर यरुशलम के पुराने शहर से बाहर खदेड़ दिया गया था.
एएफ़पी ने मध्य-पूर्व में जारी संघर्ष से जुड़े कई अन्य फ़ैक्ट-चेक यहां प्रकाशित किये हैं.