शवयात्रा के दौरान सीरिया में विस्फोट का पुराना वीडियो इज़रायल-हमास संघर्ष से जोड़कर शेयर किया गया

सीरिया में शवयात्रा के दौरान विस्फोट का पुराना वीडियो हालिया इज़रायल-हमास संघर्ष से जोड़कर गलत दावे से सोशल मीडिया पर अनेकों बार शेयर किया गया है. वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि इज़रायल ने शव में टाइम बम रखकर फ़िलिस्तीनियों पर हमला किया जिसमें कई लोगों की मौत हो गयी. हालांकि यह दावा गलत है, वीडियो 2012 में सीरिया की राजधानी दमिश्क के ज़माल्का क्षेत्र में शवयात्रा के दौरान हुए विस्फोट का है. इसका इज़रायल-हमास संघर्ष से कोई सम्बन्ध नहीं है. 

चेतावनी: संवेदनशील फ़ुटेज

फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने 31 अगस्त 2024 को वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "इजराइल ने एक आतंकवादी की लाश में टाइम बम्ब रख कर वापिस फिलस्तीनयों को दे दी, रिजल्ट आप के सामने है."

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गलत दावे से शेयर की जा रही पोस्ट का स्क्रीनशॉट

इसी तरह के दावे से वीडियो को X पर यहां और फ़ेसबुक पर यहां शेयर किया गया.

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन विश्व नेताओं में से थे जिन्होंने 7 अक्टूबर, 2023 को फ़िलिस्तीनी समूह हमास द्वारा इज़रायल पर हमले की निंदा की.

इज़रायली आधिकारिक आंकड़ों पर आधारित एएफ़पी की टैली के अनुसार इस हमले के परिणामस्वरूप 1,205 लोग मारे गए, जिनमें से अधिकांश आम नागरिक और कैद में मारे गए बंधक भी शामिल हैं.

हमास द्वारा बंधक बनाये गए 251 लोगों में से 97 अभी भी गाज़ा में हैं, जिनमें से 33 के बारे में इज़रायली सेना का कहना है कि वे मर चुके हैं. 

हमास द्वारा संचालित क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, इज़रायल के जवाबी सैन्य हमले में गाज़ा में कम से कम 41,495 लोग मारे गए हैं, जिनमें से अधिकांश आम नागरिक हैं. संयुक्त राष्ट्र ने इन आंकड़ों को विश्वसनीय बताया है. 

हालांकि यह वीडियो जून 2012 में राजधानी दमिश्क से 10 किमी (छह मील) पूर्व में सीरियाई शहर ज़माल्का में एक शवयात्रा जुलूस में कार विस्फोट का है.

असंबंधित फ़ुटेज

कीफ़्रेम का उपयोग करके गूगल पर रिवर्स इमेज में डेलीमोशन पर "ज़माल्का - सीरिया: अंतिम संस्कार जुलूस में कार बम 30/6/2012" शीर्षक के साथ प्रकाशित समान  फुटेज मिला (आर्काइव्ड लिंक). 

नीचे गलत दावे से शेयर किये गए क्लिप (बाएं) और डेलीमोशन (दाएं) पर प्रकाशित वीडियो के स्क्रीनशॉट की तुलना की गई है.

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गलत दावे से शेयर किये गए क्लिप (बाएं) और डेलीमोशन (दाएं) पर प्रकाशित वीडियो के स्क्रीनशॉट की तुलना

इसी वीडियो के पहले 10 सेकंड का क्लिप 30 जून 2012 को 'ZNNsyrian' नामक यूट्यूब चैनल द्वारा अपलोड किया हुआ मिला. यह चैनल उस लोगो का उपयोग करता है जो गलत दावे से शेयर किये जा रहे पोस्ट के ऊपरी बाएं कोने में नज़र आता है (आर्काइव्ड लिंक).

वीडियो का अरबी भाषा में शीर्षक है: "दमिश्क का ग्रामीण इलाका, ज़माल्का, जिस क्षण शवयात्रा के जुलूस पर बमबारी हुई 6/30/2012."

नीचे गलत दावे से शेयर किये गए वीडियो (बाएं) और यूट्यूब वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना की गई है.

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गलत दावे से शेयर किये गए वीडियो (बाएं) और यूट्यूब वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

सीरिया स्थित एएफ़पी के पत्रकार ने पुष्टि की कि वीडियो में सुनाई दे रहे नारे सीरियाई भाषा में हैं.

उन्होंने यह भी बताया कि वीडियो में दिख रहा झंडा राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन का विरोध करने वाले सीरियाई विद्रोहियों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है, जैसा कि नीचे स्क्रीनशॉट की तुलना में दिखाया गया है (आर्काइव्ड लिंक).

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सीरियाई विद्रोहियों का झंडा (बाएं) और ऑनलाइन प्रसारित फ़ुटेज में नज़र आ रहे झंडे (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

1 जुलाई, 2012 की अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, "दमिश्क के ज़माल्का क्षेत्र में कार्यकर्ता अब्दुल हादी अल-हलाबी के अंतिम संस्कार के जुलूस के दौरान एक विस्फोट में अस्सी लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए. अल-हलाबी पूर्वी घोउटा क्षेत्र में सैन्य अभियान के दौरान मारा गया था (आर्काइव्ड लिंक)."

रिपोर्ट में घटना के समान दृश्य भी शामिल हैं, हालांकि पूरे फ़ुटेज का उपयोग नहीं किया गया है. 

एएफ़पी ने भी इस घटना को रिपोर्ट किया था.

इज़रायल-हमास युद्ध के बारे में अन्य गलत दावों को यहां फ़ैक्ट चेक किया है (आर्काइव्ड लिंक).

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