
तुर्की में बोट परेड का पुराना वीडियो गाज़ा में मदद को जा रही फ़्लोटिला के दावे से शेयर किया गया
- प्रकाशित 7 अक्टूबर 2025, 11h54
- 3 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
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फ़ेसबुक पर सितंबर 29, 2025 को शेयर की गई पोस्ट का कैप्शन है, "ग्लोबल सुमुद फ्लोटिला, 44 देशों के कार्यकर्ताओं को लेकर 50 से अधिक नावें अवैध घेराबंदी को तोड़ने के लिए ग़ज्ज़ा की ओर बढ़ रही हैं, जो आधुनिक इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा नागरिक फ्लोटिला है. ग़ज्ज़ा सुमुद फ्लोटिला को ग़ज्ज़ा पहुंचने में दो दिन से भी कम समय बचा है.”
वीडियो, जिसपर 3000 से ज़्यादा व्यूज़ हैं, समुद्र में नावों के एक समूह को दिखाता है.

जहाज़ से गाज़ा जा रहे इन कार्यकर्ताओं में स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी शामिल थीं. वे 31 अगस्त को बार्सिलोना से "ग्लोबल सुमुद फ़्लोटिला" के तहत गाज़ा के लिए रवाना हुए थे, जहां संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अकाल जैसी स्थिति बन रही थी (आर्काइव्ड लिंक).
इज़रायल की सेना ने 3 अक्टूबर को कहा कि नौसेना ने इस दल के सभी 42 जहाज़ों को रोक लिया है, जबकि पुलिस ने बताया कि "470 से ज़्यादा प्रतिभागियों को सैन्य पुलिस ने हिरासत में लिया है".
फ़्लोटिला के आयोजकों ने कहा कि उनके जहाज़ों को "ग़ैरकानूनी तरीके से रोका गया" और यात्रियों को "ग़ैरकानूनी रूप से अगवा किया गया".
यह वीडियो X पर भी इसी दावे के साथ शेयर किया गया था, पर यह फ़्लोटिला नहीं है.
वीडियो के कीफ़्रेम को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर वही वीडियो 26 मई को टिकटॉक पर "Istanbul" और "Galatasaray" जैसे हैशटैग्स के साथ शेयर किया गया मिला (आर्काइव्ड लिंक).

तुर्की की सरकारी समाचार एजेंसी अनादोलु की रिपोर्ट के अनुसार Galatasaray फ़ुटबॉल क्लब के प्रशंसकों ने अपने टीम की तुर्की सुपर लीग जीत का जश्न मनाने के लिए सरायबुर्नु से बोस्फोरस तक नावों की परेड निकाली थी, इसके बाद ही यह वीडियो शेयर किया गया (आर्काइव्ड लिंक).
वीडियो में वही झंडे का खंभा और पेड़ों की कतार दिखाई देती है, जो गूगल मैप्स स्ट्रीट व्यू पर सरायबुर्नु प्रायद्वीप में देखी जा सकती है (आर्काइव्ड लिंक).

क्लब के आधिकारिक X अकाउंट ने भी इस जश्न के कई वीडियो शेयर किए थे, जिनमें नावों पर क्लब का लाल और पीले रंग का झंडा दिखाई देता है -- वही झंडा जो गलत दावे के वीडियो में भी देखा जा सकता है (आर्काइव्ड लिंक यहां और यहां).

गाज़ा में युद्ध से जुड़े अन्य गलत दावों को एएफ़पी ने यहां फैक्ट-चेक किया है.
