बाढ़ का AI-जेनरेटेड वीडियो असल बताकर शेयर किया गया

उत्तर भारत में मूसलाधार बारिश के कारण अचानक कई जगहों पर आई बाढ़ और भूस्खलन से जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ है. इसी बीच सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने एक क्लिप शेयर करते हुए दावा किया कि यह प्रदेश में आई भयानक बाढ़ का वीडियो है. हालांकि वीडियो आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस टूल्स की मदद से बनाया गया था. जुलाई की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में बाढ़ आने की कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं है. 

एक यूज़र ने इंस्टग्राम पर जुलाई 4, 2025 को वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, "उत्तर प्रदेश की बारिश कई घर डुबो दिया."

वीडियो में एक घर की छत पर कुछ लोग नज़र आते हैं और नीचे भैंसें बाढ़ के पानी में चल रही हैं. 

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गलत दावे की पोस्ट का जुलाई 25 को लिया गया स्क्रीनशॉट, जिस पर एएफ़पी द्वारा एक लाल X साइन जोड़ा गया है

पोस्ट ऐसे वक़्त शेयर किया गया जब जून और जुलाई में उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश ने कम से कम 69 लोगों की जान ले ली (आर्काइव्ड लिंक). 

इसके बाद अगस्त में उत्तर प्रदेश में बाढ़ आई जिसमें 11,000 से ज़्यादा लोग बेघर हो गए और 300 से ज़्यादा घरों को नुकसान हुआ (आर्काइव्ड लिंक). 

यूज़र्स ने इस दावे को सही मानते हुए वीडियो को फ़ेसबुक और X पर भी शेयर किया. 

एक यूज़र ने लिखा, "प्रकृति के प्रकोप से कोई नहीं बच सकता." 

दूसरे ने कमेंट किया, "प्रकृति नाराज़ है." 

हालांकि वीडियो AI से बनाया गया है. इसके अलावा जुलाई के पहले सप्ताह में उत्तर प्रदेश में बाढ़ की कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं है. 

गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर और भी भ्रामक पोस्ट मिले लेकिन गूगल के "About this image" फ़ीचर ने बताया कि यह वीडियो AI से बना है.  

AI से बनी इमेज को पहचानने की यह क्षमता गूगल की SynthID तकनीक पर आधारित है, जिसे 2023 में उसकी DeepMind AI लैब ने लॉन्च किया था.

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कैप्शन सहित तस्वीर का स्क्रीनशॉट जिससे पता चलता है कि इसे Google AI से बनाया गया है

वीडियो में कई दृश्य विसंगतियां साफ़ दिखती हैं -- जो इशारा करती हैं कि इसे AI टूल्स से बनाया गया है. 

वीडियो की शुरुआत में सफ़ेद कपड़ों में एक व्यक्ति छत पर बैठा दिखता है, लेकिन बाद में वह गायब हो जाता है. वहीं एक और आदमी शुरुआत में नहीं दिखता पर बाद के दृश्यों में नज़र आता है. 

लकड़ी की चारपाइयों की ऊंचाई भी भैंसों के बराबर दिखाई देती है. 

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एएफ़पी द्वारा हाइलाइटेड दृश्य विसंगतियां

रिवर्स इमेज सर्च से यह भी पता चला है कि यह वीडियो सबसे पहले जुलाई 3 को एक टिकटॉक अकाउंट पर अपलोड किया गया था, जिस पर इसी तरह की विज़ुअल गड़बड़ियों वाले और भी वीडियो मौजूद हैं (आर्काइव्ड लिंक). 

एएफ़पी ने पहले भी AI से बनाए कंटेंट को शेयर कर फैलाये गए भ्रामक दावों का फ़ैक्ट चेक किया है. 

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