"रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे भारतीय नागरिक" के दावे से शेयर किया गया वीडियो दरअसल एआई -जेनरेटेड है
- प्रकाशित 10 दिसंबर 2025, 08h33
- 3 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
हाल ही में भारतीय नागरिकों को झांसा देकर रूस-यूक्रेन युद्ध में भेजे जाने की खबरों के बीच कई परिवारों ने सरकार से उन्हें वापस लाने की मदद मांगी. इसी दौरान एक एआई-जेनरेटेड वीडियो इस गलत दावे के साथ शेयर किया गया कि इसमें रूस की सेना में भर्ती किए गए भारतीय युवक को सरकार से मदद मांगते दिखाया गया है. जबकि यह वीडियो और ऐसे कई अन्य क्लिप इससे पहले एक फ़ेसबुक पेज पर शेयर किये गये हैं, जहां एआई जेनरेटेड कंटेंट को डिस्क्लेमर के साथ पोस्ट किया गया है.
X पर नवंबर 24, 2025 को शेयर किए गए पोस्ट का कैप्शन है: "क्या हमारे देश के युवाओं की जान इतनी सस्ती है. रूस में धोखे से एजेंट युवाओं को रोजगार के नाम पर रूस भेज देते हैंं और वहां 10 दिन की ट्रेनिंग के बाद युद्व में भेज दिया जाता है. रूस यूक्रेन युद्व में बचा एक भारतीय युवा भारत सरकार से मदद मांग रहा है."
वीडियो में एक थका हुआ सैनिक मलबे के सहारे बैठा हुआ कैमरे में कहता है: "भाइयों, मेरी मदद करो. इस वीडियो को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करो. यहां बहुत लड़ाई चल रही है. मेरे साथ आए दस लोग मर गए, मैं ही अकेला बचा हूं. यह वीडियो सरकार तक पहुंचाओ. प्लीज़ मुझे बचा लो."
वीडियो के ऊपर लिखा है: “मैं अकेला बचा हूं. मेरे साथी सब मर गये. सब शहीद हो गये."
वीडियो को इसी दावे से फ़ेसबुक और X पर भी शेयर किया गया है.
वीडियो सोशल मीडिया पर ऐसे समय शेयर किया जा रहा है जब दिल्ली में दर्जनों परिवार इकट्ठा होकर सरकार से उन युवकों को वापस लाने की मांग करने लगे, जिन्हें कथित तौर पर नौकरी दिलाने के नाम पर धोखे से रूस-यूक्रेन युद्ध में भेज दिया गया था.
फ़्रांस 24 की एक रिपोर्ट के अनुसार, परिवारों का कहना है कि उनके बेटों को एक संदिग्ध नेटवर्क के जरिए रूस ले जाया गया जहां उन्हें वैध नौकरी देने का वादा किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें यूक्रेन के मोर्चे पर लड़ने के लिये भेज दिया गया (आर्काइव्ड लिंक).
पीटीआई की 7 नवंबर की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया कि 44 भारतीय नागरिक रूसी सेना में फ़िलहाल काम कर रहे हैं. दिल्ली ने यह मुद्दा मॉस्को के सामने उठाया और रूस से भारतीयों की भर्ती रोकने का आग्रह भी किया है (आर्काइव्ड लिंक).
रिपोर्ट में सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया गया कि करीब 170 भारतीय रूसी सेना में भर्ती किए गए थे. इनमें से 96 को रिहा कर दिया गया, जबकि 16 अभी भी लापता हैं. यूक्रेन के युद्ध में कम से कम 12 भारतीय लड़ते हुए मारे जा चुके हैं.
हालांकि ऑनलाइन शेयर किया जा रहा वीडियो एआई-जेनरेटेड है.
गलत दावे के वीडियो के कीफ़्रेम को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर वही क्लिप 21 नवंबर को एक फ़ेसबुक पेज पर पोस्ट की गयी मिली. इस पेज पर नियमित रूप से एआई-जेनरेटेड कंटेंट शेयर किया जाता रहा है (आर्काइव्ड लिंक).
वीडियो का कैप्शन है: "अगर आप भारतीय सेना से प्यार करते हैं तो यह वीडियो जरूर देखें." लेकिन कैप्शन में अंग्रेज़ी में इसे "एआई जेनरेटेड कंटेंट" बताते हुए लिखा गया है कि "केवल मनोरंजन के लिये" बनाया गया है.
इस पेज पर ऐसे कई और मिलते-जुलते वीडियो शेयर किए गये हैं.
इनमें से एक वीडियो में सैनिक का कथित बयान लगभग वैसा ही है जैसा गलत दावे के वायरल वीडियो में सुना गया था. अंतर सिर्फ़ ये है कि उसमें वह कहता है कि उसके सात साथी मारे गए, जबकि वायरल वीडियो में संख्या दस बताई गई है (आर्काइव्ड लिंक).
इस वीडियो के कैप्शन में भी डिस्क्लेमर शामिल है: "यह कंटेंट एआई जेनरेटेड है और केवल मनोरंजन के लिये बनाया गया है."
गलत दावे के वीडियो में कई ऐसी गलतियां भी दिखती हैं, जैसे सैनिक के हाथों की हरकतें और चेहरे के भाव जिनसे स्पष्ट होता है कि यह एआई से बनाया गया है.
इसके अलावा, वॉयस-क्लोनिंग डिटेक्शन टूल Hiya (जो Verification Plugin में उपलब्ध है) ने इस वीडियो के ऑडियो को जांचकर बताया कि यह संभावित रूप से एआई-जेनरेटेड है.
एएफ़पी ने पहले भी ऐसे पोस्ट का फ़ैक्ट-चेक किया है, जिसे रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे एक सैनिक के दावे से शेयर किया गया था.
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