
बाढ़ में डूबती ट्रेन का ये वीडियो एआई-जेनरेटेड है
- प्रकाशित 3 सितम्बर 2025, 09h37
- 3 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
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इंस्टाग्राम पर 21 अगस्त 2025 को शेयर किए गए इस वीडियो के ऊपर लिखा है: "पटना में गंगा नदी में समा गई ट्रेन".
वीडियो में ट्रेन के कई डिब्बे तेज बहाव वाली नदी में डूबे दिख रहे हैं, जबकि कुछ लोग पुल के खंभे के पास फंसे नज़र आते हैं. कुछ पुरुष हाथ में माइक्रोफ़ोन लिए नदी किनारे और पुल पर खड़े दिखते हैं.
अगस्त में बाढ़ ने बिहार के कई शहरों को प्रभावित किया, जिससे 10 ज़िलों में लगभग 25 लाख से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए (आर्काइव्ड लिंक).

वीडियो को फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर इसी दावे से शेयर किया गया है कि यह बिहार में एक असली ट्रेन हादसे को दिखाता है.
इस साल देश के कई हिस्सों में घातक बाढ़ आपदाएं आईं जिससे व्यापक जन-धन की हानि हुई है (आर्काइव्ड लिंक).
कश्मीर के चिसोटी गांव में 14 अगस्त को आई बाढ़ ने तबाही मचा दी जिसमें कम से कम 65 लोगों की मौत हुई और 33 लापता हुए.
उत्तराखंड के धाराली कस्बे में 5 अगस्त को बाढ़ और मलबे ने पूरे इलाके को पाट दिया. इस आपदा में मौत का आंकड़ा 70 से अधिक हो सकता है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने इस वीडियो को असली माना है. एक ने लिखा, "हे भगवान सबकी रक्षा करो".
एक अन्य यूज़र ने कमेंट किया: "यह बहुत भयानक हादसा है".
लेकिन यह वीडियो एआई से बनाया गया है.
कुछ कीवर्ड्स के साथ वीडियो के कीफ़्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर यह क्लिप 20 अगस्त को इंस्टाग्राम पर अपलोड किया हुआ मिला (आर्काइव्ड लिंक).
वीडियो का कैप्शन है: "पटना में गंगा में गिरी ट्रेन, एआई एडिटेड".
कैप्शन में यह भी कहा गया है: "यह वीडियो पूरी तरह एआई से बनाया गया है और असली नहीं है. इसे सिर्फ़ मनोरंजन और क्रिएटिविटी के लिए बनाया गया है. कृपया इसे असली फ़ुटेज न समझें."

इस अकाउंट में कई अन्य इसी तरह के एआई-जेनरेटेड वीडियो अपलोड किये गये हैं. इसके बायो में लिखा है: "AI Video Creator".
इंस्टाग्राम अकाउंट को चलाने वाले सतीश तोरियाही ने 27 अगस्त को एएफ़पी को बताया कि उन्होंने वीडियो "Google VEO और Grok के एडवांस वर्ज़न जैसे प्रो एआई टूल्स" की मदद से बनाए हैं.
उन्होंने बताया: "मैंने सबसे पहले गूगल के टूल में कुछ सेकंड का प्रॉम्प्ट डालकर टाइमलाइन बनाई, फिर प्रीमियर प्रो से एडिट किया और उसमें साउंड जोड़ा."
हालांकि एआई तकनीक ने अपने परिणामों में बहुत कमाल के सुधार किये हैं, लेकिन वीडियो में अभी भी कई गड़बड़ियां स्पष्ट तौर पर दिख जाती हैं -- जैसे ट्रेन के डिब्बों और माइक्रोफ़ोन पर बिगड़ा हुआ टेक्स्ट और पानी की अस्वाभाविक गति. किसी भी इमेज या वीडियो को ध्यान से परखना उसकी प्रामाणिकता जांचने का एक अहम तरीका है.
एएफ़पी पहले भी भारत में मॉनसून बाढ़ से जुड़ी फ़र्ज़ी खबरों और एआई से बनाए गए फ़र्ज़ी कंटेंट को फ़ैक्ट-चेक कर चुका है.
