भारतीय सेना के अधिकारी का एआई जेनरेटेड वीडियो गलत दावे से वायरल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी पर सत्ता में आने के बाद से हिंदू राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं. आलोचक इसे देश की धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा मानते हैं. इसी से जोड़कर सोशल मीडिया पर एक वरिष्ठ भारतीय सेना अधिकारी का मोदी सरकार की आलोचना करते हुए एक वीडियो शेयर किया जा रहा है, जो वास्तव में AI से बनाया गया है. वीडियो में कई संकेत हैं जो बताते हैं कि यह नकली है. 

इंस्टाग्राम पर एक यूज़र ने अक्टूबर 28, 2025 को यह वीडियो शेयर किया जिसके ऊपर लिखा है, "भगवा राजनीति का बढ़ता प्रभाव भारतीय सेना के मूल मूल्यों को नष्ट कर रहा है. अगर ऐसा जारी रहा, तो हम बाहरी दुश्मन से नहीं, बल्कि राजनीतिक ज़हर से हारेंगे."

पोस्ट का कैप्शन है, "सभी परेशान हैं इस सरकार से क्योंकि ये हिन्दू मुस्लिम के सिवा कुछ नहीं कर रही है."

35 सेकंड की यह क्लिप भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी लेफ़्टिनेंट जनरल राजीव घई को दिखाती है, जिन्होंने मई में भारत और पकिस्तान के बीच कई दिनों तक चली झड़प को रोकने के सम्बन्ध में अपने पाकिस्तानी समकक्ष से बातचीत की थी. वीडियो में वे सैन्य वर्दी में मंच से बोलते हुए दिखाई देते हैं (आर्काइव्ड लिंक यहां और यहां). 

वीडियो की शुरुआत में वे अंग्रेज़ी में बोलते नज़र आते हैं: "एक वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर, जिसने दशकों तक इस वर्दी की सेवा की है, मैं गहरी चिंता के साथ यह कहता हूं कि भगवा राजनीति का बढ़ता प्रभाव भारतीय सेना के मूल मूल्यों को कमजोर कर रहा है."

आगे के हिस्से में घई कहते हैं कि सेना की ताकत अनुशासन, एकता और संवैधानिक कर्तव्य निभाने में है, न कि धार्मिक ध्रुवीकरण में. 

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गलत दावे से शेयर की गई इंस्टाग्राम पोस्ट का स्क्रीनशॉट, जिस पर एएफ़पी द्वारा X साइन जोड़ा गया है

इस संदर्भ में 'भगवा राजनीति' से आशय है सार्वजनिक ज्ञान, संस्कृति और संस्थानों में दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा -- यानी हिंदुत्व -- को बढ़ावा देकर उसे राजनीतिक रूप से प्रभावित करना. इस विचारधारा को भाजपा की मूल विचारधारा माना जाता है (आर्काइव्ड लिंक).

2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद से भारत की संवैधानिक रूप से धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक व्यवस्था को बहुसंख्यक हिंदू धर्म के हिसाब से ढालने की मांग लगातार उठती रही है.  

यह वीडियो फ़ेसबुक और X पर भी शेयर किया गया.  कुछ यूज़र्स  के कमेंट से प्रतीत होता है की उन्होंने इसे वास्तविक माना है.  

एक यूज़र ने लिखा: "आह... हम अच्छी तरह जानते हैं, मोदी चुनाव के लिए कुछ भी कर सकता है. इंडिया का डर्टी हैरी." 

एक अन्य ने कहा: "भारत पहले से ही अलग-थलग पड़ रहा है; सेना को किसी भी राजनीति का हिस्सा नहीं होना चाहिए." 

भारतीय फ़ैक्ट-चेकिंग आउटलेट Factly ने भी इस दावे को खारिज किया है (आर्काइव्ड लिंक).

वीडियो को ध्यान से देखने पर साफ़ पता चलता है यह AI से बनाया गया है; कई संकेत -- जैसे घई की लिप सिंक आवाज़ से मेल नहीं खातीं, ऊपर बाईं ओर Republic TV के लोगो के नीचे लिखा “DEFENCE” कई बार गड़बड़ा कर बदलता रहता है और असली वीडियो में घई के पीछे ग्राफ़िक चलता है, लेकिन नकली वीडियो में यह स्थिर है. 

Hive के AI डिटेक्शन टूल से की गई जांच में भी 99.5% संभावना बताई गई कि यह वीडियो AI-जनरेटेड है (आर्काइव्ड लिंक). 

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4 नवंबर 2025 को लिए गए Hive के विश्लेषण का स्क्रीनशॉट.

गूगल पर वायरल क्लिप के की-फ़्रेम्स से की गई रिवर्स इमेज सर्च से पता चलता है कि यह वीडियो 18 अक्टूबर 2025 को रिपब्लिक टीवी के यूट्यूब चैनल पर अपलोडेड एक वीडियो पर आधारित लगता है, जिसका शीर्षक था, "Lt Gen Rajiv Ghai LIVE On India's Biggest Forces First Conclave (आर्काइव्ड लिंक)."

मूल वीडियो में घई ने भविष्य के संघर्षों के लिए भारत की तैयारियों पर बात की थी. उन्होंने "ऑपरेशन सिंदूर", जो मई में पाकिस्तान पर भारत की मिसाइल स्ट्राइक्स का नाम था, को प्रेसिजन और मल्टी-डोमेन वॉरफ़ेयर का उदाहरण बताया, जिसमें बढ़ते तनाव को नियंत्रित रखते हुए कार्रवाई की गई थी. 

उन्होंने संयुक्त कमांड, तकनीक-आधारित युद्ध और मिसइंफ़र्मेशन का मुकाबला करने के प्रयासों के महत्व पर भी ज़ोर दिया था. मगर उन्होंने सेना के राजनीतिकरण और कथित 'भगवाकरण' के बारे में कुछ भी नहीं कहा था. 

एएफ़पी ने एआई-जनरेटेड कंटेंट पहचानने के लिए एक गाइड भी प्रकाशित की है. 

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