विरोध प्रद्रशन की पुरानी तस्वीरें हालिया हमास-इज़रायल संघर्ष से जोड़कर शेयर की गईं

हमास के बंदूकधारियों द्वारा 7 अक्टूबर को गाज़ा पट्टी से इज़रायल पर किये गए हमले और 240 लोगों को बंधक बनाने के बाद शुरू हुए युद्ध में अब तक दोनों पक्षों के हज़ारों नागरिक मारे जा चुके हैं. इसी युद्ध से जोड़कर सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें इस गलत दावे के साथ शेयर की जा रही हैं कि वे तेल-अवीव में इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन दिखाती हैं. जबकि तेल-अवीव में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने इज़रायली बंधकों की रिहाई की मांग को लेकर शहर में रैलियां निकाली थीं, लेकिन वास्तव में ये तस्वीरें इस विरोध प्रदर्शन से संबंधित नहीं हैं.

तस्वीरों को फ़ेसबुक पर यहां 16 अक्टूबर 2023 को शेयर किया गया है.

पोस्ट का कैप्शन है, “अल्लहुअकबर. इज़राइल के ख़िलाफ़ खुद उनकी ही अवाम हुक़ूमत के खिलाफ खड़ी हो गयी है 5 लाख लोगों ने तेलअवीव में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और स्थिति बिगाड़ने का सरकार पर आरोप लगाया. इससे पहले भी कई मंन्त्री और यहूदी उलमा इज़राइल के खिलाफ़ बयान दे चुके हैं.”

पोस्ट में भीड़ दिखाते हुए दो तस्वीरें शेयर की गई हैं, जिनके ऊपर हिंदी में लिखा है: "गाजा ब्रेकिंग: नेतन्याहू के खिलाफ सड़क पर इजरायली" और "तेल अवीव में 5 लाख लोग सड़कों पर."

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट, 20 अक्टूबर 2023

कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स पर एक न्यूज़ रिपोर्ट के फ़ुटेज को शेयर करते हुए ये गलत दावा किया गया कि ये 'लाखों लोगों' को इज़रायल-हमास जंग के दौरान नेतन्याहू विरोधी प्रदर्शन में भाग लेते दिखाता है.

भारत और इंडोनेशिया के सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा पोस्ट किया गया ये क्लिप शुरुआत में एक बड़ी रैली का एरियल शॉट दिखाता है. जल्द ही शॉट एक पत्रकार पर फ़ोकस करता है जो एक सड़क पर रिपोर्टिंग कर रहा है जहां लोग हाथों में इज़राइली झंडे लिए खड़े हैं.

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इज़रायली अधिकारियों के अनुसार 7 अक्टूबर को हमास के हमले, जिसमें बंदूकधारियों ने 1,400 से अधिक लोगों को मार डाला था, के जवाब में इज़रायल ने गाज़ा पर लगातार हवाई बमबारी शुरू कर दी थी.

मृतकों में अधिकतर सामान्य नागरिक थे जबकि हमास द्वारा 240 लोगों को बंधक बनाकर गाज़ा पट्टी भी ले जाया गया था.

गाज़ा के हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इज़रायल के बमबारी अभियान में 8,000 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें ज़्यादातर आम नागरिक और उनमें कई बच्चे शामिल हैं.

हमास द्वारा बंधक बनाये गये इज़रायलियों के परिवार के सदस्यों ने 28 अक्टूबर को तेल-अवीव में एक रैली आयोजित की और मांग की कि इज़रायली अधिकारी उन्हें मुक्त कराने के लिए और अधिक प्रयास करें.

हालांकि भ्रामक पोस्ट में मौजूद तस्वीरों का इन विरोध प्रदर्शनों से कोई संबंध नहीं है.

गाज़ा हॉस्पिटल

भ्रामक पोस्ट में पहली तस्वीर गाज़ा शहर के अल-शिफ़ा अस्पताल के बाहर ली गई थी - तेल अवीव में नहीं.

इस तस्वीर में भूरे रंग की छत वाले एक स्ट्रक्चर और उसके मेहराब के सामने नीली छत वाले दूसरे स्ट्रक्चर को अगल बगल देखा जा सकता है. 14 अक्टूबर को प्रकाशित एएफ़पी की क्लिप में उन्हीं संरचनाओं को देखा जा सकता है.

एएफ़पी वीडियो के कैप्शन में लिखा है, "अल-शती शिविर पर इज़रायली हवाई हमलों में घायल फ़िलिस्तीनी गाज़ा शहर के अल-शिफा अस्पताल पहुंचे."

हालांकि एएफ़पी तस्वीर के कंटेंट को स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं करता है.

नीचे भ्रामक पोस्ट (बाएं) और एएफ़पी वीडियो (दाएं) में दिख रही दोनों ही संरचनाओं की तुलना की गई है जिसमें मिलती जुलती समानताएं हाईलाइट की गई हैं.

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बीबीसी ने भी 25 अक्टूबर को एक तस्वीर प्रकाशित की थी, जिसमें कहा गया था कि यह गाज़ा शहर में अल-शिफ़ा अस्पताल को दिखाती है, इसमें भी वही समानतायें दिखाई गई हैं (आर्काइव्ड लिंक).

तेल-अवीव में हुई पुरानी रैली

पहली भ्रामक पोस्ट की दूसरी तस्वीर और भ्रामक वीडियो वाली पोस्ट की पहली क्लिप तेल अवीव में ज़रूर ली गई थी मगर ये मार्च महीने की है.

यह तस्वीर ब्रिटेन स्थित अखबार द टेलीग्राफ़ द्वारा 12 मार्च, 2023 को अपने यूट्यूब चैनल पर प्रकाशित एक वीडियो में 0:26 टाइमस्टैम्प के एक दृश्य से मेल खाती है (आर्काइव्ड लिंक).

लगभग 1:18 सेकेंड लंबे वीडियो, जो 11 मार्च को इज़रायल के तेल अवीव में आयोजित एक विरोध प्रदर्शन को दिखाता है, की हेडलाइन है "इज़रायल का 'अब तक का सबसे बड़ा' विरोध प्रदर्शन क्योंकि नेतन्याहू सरकार अपने रिफ़ॉर्म्स पर कायम है.”

वीडियो में दिख रहे टेक्स्ट में लिखा है, "सरकार के न्यायिक रिफ़ॉर्म्स के विरोध में हजारों इज़रायली सड़कों पर उतर आए थे, आयोजकों का अनुमान है कि प्रदर्शन में 500,000 लोग शामिल हुए."

नीचे भ्रामक पोस्ट के वीडियो (बाएं) और द टेलीग्राफ़ के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए मूल वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना दी गई है.

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सरकार की न्यायिक रिफ़ॉर्म्स योजनाओं के खिलाफ़ महीनों तक चले विरोध प्रदर्शन के हिस्से के रूप में प्रदर्शनकारियों ने 11 मार्च को पूरे इज़रायल में प्रदर्शन किया था.

एएफ़पी ने बताया, "न्यायिक सुधार नेतन्याहू, जिन्होंने दिसंबर के अंत में सत्ता संभाली थी, के प्रशासन की आधारशिला है, जो अति-रूढ़िवादी यहूदी और अति-दक्षिणपंथी पार्टियों के साथ गठबंधन में हैं."

"इज़रायली मीडिया द्वारा दिए गए अनुमान के अनुसार तेल अवीव में आयोजित इस प्रदर्शन में लगभग 100,000 प्रदर्शनकारियों ने भाग लिया था."

अंततः व्यापक विरोध के बावजूद भी यह विधेयक पारित हो गया था.

विरोध प्रदर्शन

भ्रामक वीडियो पोस्ट में शेयर की गयी दूसरी क्लिप एबीसी न्यूज़ के एक रिपोर्ट से ली गयी है. ये रिपोर्ट उन इज़राइलियों के बारे में थी जो हमास द्वारा अक्टूबर 7 को बंधक बनाये गए लोगों को छुड़वाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए इकट्ठा हुए थे (आर्काइव्ड लिंक).

एबीसी न्यूज़ वीडियो के 40 सेकंड के मार्क पर रिपोर्टर मैट गुत्मान कहते हैं कि 'सैकड़ों' लोग डिफ़ेंस मिनिस्ट्री के बाहर इकट्ठा हुए हैं.

टाइम्स ऑफ़ इज़रायल के मुताबिक प्रदर्शनकारी इज़राइली डिफ़ेंस मिनिस्ट्री के बाहर अविहै ब्रॉडेटज़ के समर्थन में इकट्ठा हुए थे. ब्रॉडेटज़ के बीवी और बच्चों को हमास ने बंधक बनाया था (आर्काइव्ड लिंक)

इज़राइली अख़बार हार्टेज़ के मुताबिक जबकि ब्रॉडेटज़ ने कहा था उनका प्रदर्शन राजनैतिक नहीं है, उनके साथ जुड़े लोगों ने आगे चलकर 'सरकार कि निंदा' की थी (आर्काइव्ड लिंक).

जैसा कि भ्रामक पोस्ट में दावा किया गया है, हमास द्वारा 7 अक्टूबर को हमला शुरू करने के बाद से, एएफ़पी को इज़रायल में लगभग 500,000 लोगों के विरोध प्रदर्शन की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है.

एएफ़पी ने इज़रायल-हमास संघर्ष से जुड़ी अन्य फ़र्जी सूचनाओं का यहां फ़ैक्ट-चेक किया है.

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28 नवंबर 2023 इस रिपोर्ट में हार्टेज़ के आर्टिकल को हाइपरलिंक किया गया है.
24 नवंबर 2023 इस रिपोर्ट को एबीसी न्यूज़ के एक आर्टिकल के साथ अपडेट किया गया है.

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