2013 में मिस्र में हुए विरोध प्रदर्शन का वीडियो गलत दावे से शेयर किया गया
- यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
- प्रकाशित 15 नवंबर 2023, 12h36
- 3 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
वीडियो को X, पूर्व में ट्विटर, पर यहां 28 अक्टूबर 2023 को शेयर किया गया है.
पोस्ट के साथ लिखा व्यंगात्मक कैप्शन कहता है, “इन लोगो ने चप्पल पहनाकर पता नहीं लाश को कौनसा कफन ओढ़ा दिए है की लाश अंदर ज़िंदा होकर खुजला रही है, ये फ़िलिस्तीन वाले भी ना बहुत ड्रामा है.”
वीडियो में कफ़न ओढ़ कर ज़मीन पर एक दूसरे के बगल में लेटे कई लोग दिखाई देते हैं. कफ़न पर अरबी भाषा में कुछ लिखा हुआ है. जैसे-जैसे कैमरा तथाकथित 'मृतकों' के ऊपर से गुज़रता है, उनमे से कुछ हिलते डुलते नज़र आते हैं.
इज़रायली अधिकारियों के अनुसार, 7 अक्टूबर को हमास के घातक हमले, जिसमें बंदूकधारियों ने 1,400 से अधिक लोगों को मार डाला था, के जवाब में इज़रायल ने गाज़ा पर लगातार हवाई बमबारी शुरू कर दी थी.
मृतकों में अधिकतर आम नागरिक थे जबकि हमास द्वारा 240 लोगों को बंधक बनाकर गाज़ा पट्टी भी ले जाया गया था.
तब से इज़रायल ने गाज़ा पर लगातार बमबारी की और हमले में थल सेना भी भेजी है. गाज़ा में हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इस हमले में 10,000 से अधिक लोग मारे गए हैं - जिनमें से 4,000 बच्चे हैं.
वीडियो को इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर यहां, यहां और X पर यहां शेयर किया गया है.
हालांकि लोगों को कफ़न ओढ़कर लेटे हुए दिखाता यह वीडियो मिस्र में 2013 में आयोजित एक विरोध प्रदर्शन का है.
मिस्र में प्रदर्शन
वीडियो के कीफ़्रेम्स को गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के साथ रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 28 अक्टूबर, 2013 को मिस्र के एक अखबार एल-बदिल के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर इस वीडियो का एक लंबा संस्करण अपलोड किया गया मिला (आर्काइव्ड लिंक).
वीडियो की अरबी भाषा की हेडलाइन में लिखा है: "अल-अज़हर विश्वविद्यालय के अंदर कथित शवों का चित्रण.”
वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिखा है कि यह अल-अज़हर विश्वविद्यालय में मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थक दर्जनों छात्रों द्वारा किए गए प्रदर्शन का हिस्सा था जिसमें उन्होंने सेना और पुलिस के खिलाफ़ नारे भी लगाए थे.
मुस्लिम ब्रदरहुड के सदस्य और मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी को जुलाई 2013 में एक सैन्य तख्तापलट में शासन से हटा दिया गया था, जिसके बाद उनके साल भर के शासन के खिलाफ़ मिस्र के तमाम विश्वविद्यालय "विरोध के केंद्र" में तब्दील हो गए थे.
नीचे गलत दावे की पोस्ट में शेयर की गई क्लिप (बाएं) और एल-बदिल के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना है.
रिपोर्ट में वीडियो का क्रेडिट मल्टीमीडिया पत्रकार मुस्तफ़ा दरविश को दिया गया है.
दरविश ने 2 नवंबर को एएफ़पी को बताया, "मैंने 2013 में एल-बदिल अखबार के लिए यह वीडियो फ़िल्माया था."
उसी विरोध प्रदर्शन का एक अलग एंगल से शूट किया गया वीडियो अख़बार अल योम टीवी द्वारा यूट्यूब पर अपलोड किया गया था (आर्काइव्ड लिंक).