लोकसभा चुनाव से जोड़कर शेयर की जा रही नोटों की गड्डियों की ये तस्वीरें पुरानी हैं

देश में लोकसभा चुनाव के बीच सोशल मीडिया पर दो तस्वीरों के एक कोलाज को कई बार इस गलत दावे से शेयर किया गया कि यह चेकिंग के दौरान भारतीय जनता पार्टी के  नेता सुधीर गाडगिल की कार से ज़ब्त करोड़ों रुपये कैश दिखाता है. हालांकि दोनों ही तस्वीरें दो अलग-अलग घटनाओं की हैं. पहली तस्वीर 2016 में कथित तौर पर सुधीर गाडगिल के भाई से जुड़े एक बैंक की गाड़ी से ज़ब्त कैश की है वहीं दूसरी तस्वीर में दिखाई दे रहा पैसा 2017 में दिल्ली के एक स्टॉक ब्रोकर के घर से ज़ब्त किया गया था. एक पुलिस प्रवक्ता ने दावे को फ़र्ज़ी बताया और कहा कि तस्वीरें पुरानी हैं.

कोलॉज को फ़ेसबुक पर 12 अप्रैल, 2024 को शेयर किया गया है.

पोस्ट का कैप्शन है, "मोदी जी को बधाई हो. भाजपा के विधायक सुधीर गाडगिल की कार से 20,000 करोड़ रुपये की नई करंसी पकड़ी गई है. ये ख़बर को आग की तरह फैला दो क्योंकि अपने भारत की मीडिया में ये दिखाने की औकात नहीं."

सुधीर गाडगिल भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं जो फ़िलहाल पश्चिमी महाराष्ट्र की सांगली विधानसभा सीट से विधायक हैं.

पोस्ट में शेयर की गई पहली तस्वीर में एक कार के पास खड़े एक पुलिस अधिकारी सहित कुछ लोगों का समूह नज़र आ रहा है जबकि दूसरी तस्वीर में बक्सों में भरे हुए नोटों की गड्डियां दिख रही हैं.

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट

इसी तरह के दावे के साथ पोस्ट को फ़ेसबुक पर यहां और यहां शेयर किया गया है. 

चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, चुनाव के दौरान अधिकारियों द्वारा नकदी, शराब और अन्य सामानों की आवाजाही पर कड़ी निगरानी रखी जाती है ताकि मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए इस तरह की चीज़ों का इस्तेमाल ना किया जा सके (आर्काइव्ड लिंक).

सोशल मीडिया पोस्ट पर यूज़र्स के कमेंट्स देख कर यह प्रतीत होता है कि लोगों ने इस दावे पर यकीन किया है.

एक यूज़र ने लिखा, "भारतीय जनता पार्टी इस पैसे का इस्तेमाल कर वोट खरीद रही है."

वहीं एक अन्य ने लिखा, "चुनाव आयोग को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और दूसरे राज्यों में बीजेपी नेताओं की जांच होनी चाहिए."

पुरानी और असंबंधित तस्वीरें

सांगली पुलिस के एक प्रवक्ता ने एएफ़पी को बताया कि ये पोस्ट निराधार हैं.

सांगली के पुलिस अधीक्षक बसवराज तेली ने 9 मई, 2024 को एएफ़पी को बताया, "फ़िलहाल सुधीर गाडगिल के खिलाफ़ ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है."

एएफ़पी ने पाया कि पोस्ट में 2016 और 2017 की दो अलग-अलग तस्वीरों को शेयर किया गया है.

पहली तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर नवंबर 2016 में महाराष्ट्र में कार से ज़ब्त किए गए कैश के बारे में प्रकाशित एक आर्टिकल में यही तस्वीर मिली.

एबीपी न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन स्क्वॉड के अधिकारियों को राज्य में स्थानीय चुनावों से पहले जांच के दौरान एक गाड़ी में 500 और 1,000 रुपये के मूल्यवर्ग में 6 करोड़ रुपये मिले थे  (आर्काइव्ड लिंक).

नीचे गलत दावे की पोस्ट की तस्वीर (बाएं) और एबीपी न्यूज़ द्वारा प्रकाशित तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना की गई है.

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गलत दावे की पोस्ट की तस्वीर (बाएं) और एबीपी न्यूज़ द्वारा प्रकाशित तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ये कैश ज़ब्त होने से एक सप्ताह पहले ही सरकार ने नोटबंदी के तहत 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी (आर्काइव्ड लिंक).

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कैश ले जानी वाली गाड़ी एक कोऑपरेटिव बैंक की थी, जिसके प्रमुख गणेश गाडगिल भाजपा नेता सुधीर गाडगिल के भाई हैं.

बैंक ने एक बयान में कहा कि कैश को सांगली स्थित उसके मुख्यालय ले जाया जा रहा था, क्योंकि सरकारी और निजी बैंकों ने इसे लेने से इंकार कर दिया था.

2017 की तस्वीर

दूसरी तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर 2017 में प्रकाशित एक आर्टिकल में एक स्टॉक ब्रोकर के घर पर 11 करोड़ से ज़्यादा कैश ज़ब्त होने की ख़बर के साथ बक्सों में भरे रुपयों की यह तस्वीर मिली.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, आयकर विभाग ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के ब्रोकर संजय गुप्ता के दिल्ली आवास पर छापेमारी के दौरान 11 करोड़ रुपये कैश बरामद किए थे (आर्काइव्ड लिंक).

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों ने एनएसई डेटा फ़ीड की मदद से फ़्रॉड कर पैसा कमाने के आरोप में संजय गुप्ता की कंपनी के खिलाफ़ उनके आवास सहित देश भर में 50 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की थी. 

बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार, संजय गुप्ता को जून 2022 में गिरफ़्तार कर लिया गया था (आर्काइव्ड लिंक).

नीचे गलत दावे की पोस्ट की तस्वीर (बाएं) और टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट में शेयर की गई तस्वीर(दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना की गई है.

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गलत दावे की पोस्ट की तस्वीर (बाएं) और टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट में शेयर की गई तस्वीर(दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना
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