एआई जेनरेटेड तस्वीर कुंभ मेले के दौरान 'गिरफ़्तार मुस्लिम आतंकवादी' बताकर शेयर की गई
- प्रकाशित 31 जनवरी 2025, 11h48
- 3 मिनट
- द्वारा Akshita KUMARI, एफप भारत
कॉपीराइट © एएफ़पी 2017-2025. इस कंटेंट के किसी भी तरह के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए सब्सक्रिप्शन की ज़रूरत पड़ेगी. अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने 22 जनवरी, 2025 को तस्वीर पोस्ट की.
पोस्ट का कैप्शन है, "उत्तर प्रदेश के कुंभ मेले में आतंकी अयूब खान गिरफ्तार. साधु बनकर आया था और साधुओं में मिल गया था. उसने सबसे बड़ा अपराध करने की साजिश रची थी जो उसका मजहब उसे सिखाता है. भगवान की कृपा से हमारे साधुओं ने इस आतंकी की करतूतों पर ध्यान दिया और इसे पुलिस के हवाले कर दिया."
पोस्ट में शेयर की गई तस्वीर में दो पुलिसकर्मी घुटनों तक पानी में खड़े हैं, और उनके बीच साधु के वेश में एक व्यक्ति खड़ा है जिसके हाथ बंधे हुए हैं.
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन, छह सप्ताह तक चलने वाले महाकुंभ मेले में लगभग 40 करोड़ तीर्थयात्रियों के शामिल होने की उम्मीद है (आर्काइव्ड लिंक).
मेले में 29 जनवरी को मची भगदड़ में कम से कम 30 लोग मारे गए और लगभग 60 लोग घायल हुए है. घायलों का इलाज जारी है (आर्काइव्ड लिंक).
फ़ेसबुक और X पर अन्य पोस्ट में भी इसी तरह के गलत दावों के साथ तस्वीर को शेयर किया गया.
एआई जेनरेटेड तस्वीर
एएफ़पी ने उत्तर प्रदेश में स्थानीय पुलिस से संपर्क किया, जिसने वायरल पोस्ट को खारिज़ कर दिया.
कुंभ की सुरक्षा संभालती अखाड़ा पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी भास्कर मिश्रा ने 28 जनवरी, 2025 को एएफ़पी को बताया कि अयूब खान नाम के किसी भी मुस्लिम व्यक्ति को साधु के वेश में मेले में शामिल होने के लिए गिरफ़्तार नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि अयूब अली नाम के एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया था लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया.
मिश्रा ने कहा, "सभी आवश्यक जांच के बाद, अयूब को मजिस्ट्रेट द्वारा रिहा कर दिया गया और घटना के संबंध में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है."
स्थानीय मीडिया ईटीवी भारत ने 14 जनवरी को रिपोर्ट दी कि अयूब ने नकली हिंदू पहचान लेकर एक महंत के शिविर में प्रवेश किया था (आर्काइव्ड लिंक).
ईटीवी भारत की रिपोर्ट में प्रकाशित अयूब की तस्वीर की गलत पोस्ट में शेयर की गई तस्वीर से कोई समानता नहीं है.
टेक लर्निंग फ़र्म 'द इंडियन डीपफ़ेकर' के दिव्येंद्र सिंह जादौन ने एएफ़पी को बताया कि तस्वीर का विश्लेषण करने पर उन्होंने इसमें कई विसंगतियां पाई जो इशारा करती हैं इसे एआई टूल्स की मदद से बनाया गया है.
जादौन ने 23 जनवरी को कहा, "संदिग्ध के पीछे खड़े लोगों के चेहरे नहीं हैं. साथ ही भगवा वस्त्र पहने व्यक्ति जिन रस्सियों से बंधा है वो काफ़ी साफ़ और नकली दिख रही हैं."
उन्होंने कहा कि पानी में खड़े लोगों के आस-पास काफ़ी कम लहरें दिखाई दे रही हैं जो असली नहीं प्रतीत होता.
एएफ़पी ने तस्वीर का अलग से विश्लेषण किया और पाया कि बाईं ओर साधु और पुलिसकर्मी के हाथ की आकृति में विसंगतियां हैं.
हालांकि एआई-जनरेटेड मीडिया को पहचानने के लिए कोई सरल तरीका नहीं है, लेकिन प्रत्यक्ष विसंगतियां मदद कर सकती है. आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारी प्रगति के बावजूद विसंगतिया अभी भी रह जाती है.
एएफ़पी ने पहले भी कुंभ मेले से जुड़ी फ़र्ज़ी ख़बरों को यहां और यहां फ़ैक्ट चेक किया है.