प्रदर्शनकारियों पर नाराज़ बुज़ुर्ग महिला का पुराना वीडियो गलत दावे से शेयर किया गया
- प्रकाशित 28 फरवरी 2024, 11h32
- 4 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
वीडियो को फ़ेसबुक पर यहां 12 फ़रवरी को शेयर किया गया है.
पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, "किसान के नाम पर आए दिन आंदोलन करनेवाले ये लोग किसान तो कतई नहीं हो सकते. पंजाब में आम लोग राज्य में रोजाना हो रहे विरोध प्रदर्शनों से तंग आ चुके हैं. आए दिन राहगीरों को सड़क जाम का सामना करना पड़ता है."
59 सेकंड के इस वीडियो में एक बुज़ुर्ग महिला को बीच सड़क यातायात अवरुद्ध कर बैठे प्रदर्शनकारियों के एक समूह पर चिल्लाते हुए देखा जा सकता है. वीडियो को 300 से अधिक बार रिपोस्ट किया गया है.
पंजाबी भाषा में बात करते हुए महिला कहती है, 'आपकी मांगें कभी खत्म नहीं होतीं. सरकार इतना कुछ मुफ़्त में दे रही है, आपका कर्ज़ भी माफ कर दिया गया है, फिर भी आप सड़क पर जाम लगाकर बैठे रहते हैं. आखिर इसमें हमारी क्या गलती है."
पंजाब की कुछ किसान यूनियनों ने साल 2021 में सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों की वापसी के साथ ही सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और अन्य मांगों को न पूरा करने की वादाखिलाफ़ी के कारण "दिल्ली चलो" मार्च का एलान किया.
पुलिस ने हाइवे पर बैरिकेड्स और तारों की हैवी फेसिंग लगाकर किसानों को रोकने के कड़े इंतेज़ाम किये हैं. किसानों पर कई राउंड वाटर कैनन और आंसू गैस के गोलों का प्रयोग भी किया गया है.
सरकार से कई राउंड की वार्ता विफ़ल होने के बाद भी किसानों की बातचीत अभी भी जारी है.
वीडियो को इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर यहां, यहां और X पर यहां शेयर किया गया है.
पैसों के लेनदेन का विवाद
इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने वाले पेट्रोल पंप - साकेत फिलिंग स्टेशन - के प्रबंधक आशु गुप्ता ने एएफ़पी से पुष्टि की है कि वीडियो 2022 में उनके पेट्रोल पंप और स्थानीय परिवहन कंपनियों के बीच विवाद के बाद आयोजित एक धरना प्रदर्शन का है. इसका किसानों के हालिया विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है.
आशु गुप्ता ने 15 फ़रवरी, 2024 को एएफ़पी को बताया, "एक परिवहन एजेंसी ऑपरेटर के कई ट्रकों में हमारे पेट्रोल पंप से तेल दिया जाता था और इसका भुगतान हर महीने के अंत में किया जाता था. हालांकि उन्होंने हमें लगातार तीन से चार महीनों तक भुगतान नहीं किया, इसलिए एक दिन हमने उनमें से एक ट्रक को रोक दिया था.'
'इससे विवाद बढ़ गया क्योंकि परिवहन सेवा संचालकों ने हमारे खिलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. इसलिए हमने धरना प्रदर्शन शुरु कर दिया था. बाद में पुलिस आई और समझौता कराया. हालांकि, मामला अभी भी अदालत में लंबित है."
उन्होंने यह भी कहा कि वीडियो में दिख रही महिला एक बस में यात्रा कर रही थी और "वह सड़क जाम होने के कारण परेशान हो गई और प्रदर्शनकारियों पर चिल्लाने लगी."
उन्होंने कहा कि हमारे समर्थन में कुछ किसान यूनियन के नेता भी हुए शामिल थे.
पातरन पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर जसप्रीत सिंह ने भी एएफ़पी से पुष्टि की है कि वीडियो 2022 की एक घटना का है.
'यह मामला पेट्रोल पंप एसोसिएशन और एक परिवहन सेवा मालिक के बीच विवाद का था, जिसमें परिवहन सेवा मालिक ने पेट्रोल पंप के खिलाफ़ रिपोर्ट दर्ज कराई थी. वृद्ध महिला यात्रा कर रही थी और विरोध के कारण ट्रैफ़िक जाम से परेशान थी," सिंह ने एएफ़पी को बताया.
2022 में विरोध स्थल के पास ही स्थित एक बस ट्रैवेल कोच कंपनी के मालिक केशव किंकर सिंगला ने 15 फ़रवरी को एएफ़पी को बताया कि यह वीडियो पुराना है और इसे हाल के किसानों के विरोध प्रदर्शन से गलत तरीके से जोड़ा गया है.
सिंगला ने एएफ़पी को बताया, "यह दावा गलत है. वीडियो 2022 में पंजाब के पटियाला ज़िले के साकेत फ़िलिंग स्टेशन पर आयोजित धरने का है."
कई स्थानीय मीडिया आउटलेट्स - जिनमें हिमाचल टुडे, स्क्रॉल पंजाब और फोकस पंजाब ते शामिल हैं - ने भी नवंबर 2022 में इस धरने पर वीडियो रिपोर्ट की थी जिनमें वही दृश्य दिखाये गये हैं (आर्काइव्ड लिंक यहां, यहां और यहां).
नीचे गलत दावे के वीडियो (बाएं) और स्क्रॉल पंजाब द्वारा अपलोड की गई क्लिप के एक स्क्रीनग्रैब (दायें) की तुलना है जिसमें समान दृश्य दिखाया गया है.