शेख हसीना के खिलाफ़ बांग्लादेश में प्रदर्शनरत मुस्लिम अभिनेत्री का वीडियो गलत दावे से शेयर किया गया

मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख़्तापलट के बाद कई जगहों से हिंदुओं पर हो रहे हमलों की रिपोर्ट्स आ रही हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर सैकड़ों बार शेयर किये गए एक वीडियो में बैनर पकड़े भीड़ को संबोधित करते हुए भावुक दिख रही महिला हिंदू समुदाय से नहीं है. वीडियो में बांग्लादेशी अभिनेत्री अज़मेरी हक़ बधोन को हसीना के इस्तीफ़े की मांग करने वाले एक विरोध प्रदर्शन में भाग लेते हुए दिखाया गया है. उन्होंने एएफ़पी को बताया कि वह मुस्लिम हैं, हिंदू नहीं, जैसा कि गलत दावे की पोस्ट में कहा गया है.  

वीडियो को फ़ेसबुक पर यहां 12 अगस्त 2024 को शेयर किया गया है.  

पोस्ट का कैप्शन है, "बांग्लादेश से वीडियो. हिंदू महिलाएं रो रही हैं क्योंकि उन्हें धमकी दी गयी है कि या तो धर्म परिवर्तन कर लो या बांग्लादेश छोड़ दो. वे अपने घरों से दूर कहां जाएंगी. दुनिया क्या आप उनका दर्द सुन और महसूस कर सकते हैं."

12-सेकंड की क्लिप में बारिश में भीगती एक महिला को लाउडस्पीकर पर बोलते हुए अचानक फूट-फूट कर रोते देखा जा सकता है.  

वीडियो में महिला को कहते हुए सुना जा सकता है, "क्योंकि ये देश मेरा है और हम देश को सुधारेंगे."  

वीडियो के ऊपर बड़े अक्षरों में  "12 अगस्त, 2024" की तारीख़ और हिंदी में "बांग्लादेश की हिंदू शेरनी की दहाड़ सुनो" लिखा हुआ है. 

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट

वीडियो के इसी दावे से फ़ेसबुक और X पर शेयर किया गया है. 

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार के गठन के तुरंत बाद ही 1,000 से अधिक हिंदू समुदाय के लोग सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ़ सुरक्षा की मांग को लेकर एकत्र हुए थे, उसके बाद से ही वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जाने लगा (आर्काइव्ड लिंक).

लगातार 2009 से सत्ता में रहीं हसीना के इस्तीफ़ा देने और 5 अगस्त को छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद भारत में शरण लेने के बाद से ही बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों की कई रिपोर्ट सामने आई हैं.

हिंदू बांग्लादेश में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह हैं और उन्हें हसीना की पार्टी, अवामी लीग, का एक कोर समर्थक समूह माना जाता है.

हालांकि वीडियो में दिख रही महिला बांग्लादेशी अभिनेत्री अज़मेरी हक़ बधोन हैं जो की मुस्लिम समुदाय से हैं.

गलत दावा

बधोन ने 26 अगस्त को एएफ़पी को बताया कि वह एक मुस्लिम हैं और वीडियो में उन्हें "छात्रों की एक रैली में बोलते हुए" दिखाया गया है.

उन्होंने 13 अगस्त, 2024 को अपने आधिकारिक फ़ेसबुक पेज पर भी गलत दावों के बारे में पोस्ट करते हुए उन्हें "भारतीय मीडिया और बांग्लादेश के बारे में दूर-दराज़ समूहों द्वारा फैलाया गया झूठ और दुष्प्रचार" कहा (आर्काइव्ड लिंक).

उन्होंने लिखा, "एक गौरवशाली बांग्लादेशी के रूप में, मैं हाल ही में हुए एक विरोध प्रदर्शन से अपना खुद का वीडियो शेयर कर रही हूं, जहां मैंने छात्रों के अधिकारों की मांग की और अत्याचारी हसीना शासन के खिलाफ़ आवाज़ उठाई." 

बधोन ने 3 अगस्त को फ़ेसबुक पर रैली में अपने भाषण का एक लंबा वीडियो भी पोस्ट किया था, जिसमें एक समान दृश्य दिखाया गया है (आर्काइव्ड लिंक).

नीचे गलत दावे की पोस्ट के वीडियो (बाएं) और बधोन द्वारा शेयर की गई क्लिप (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना दी गई है.

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गलत दावे की पोस्ट के वीडियो (बाएं) और बधोन द्वारा शेयर की गई क्लिप (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

आगे कीवर्ड सर्च में बंगाली भाषा की न्यूज़ वेबसाइट आजकेर पत्रिका की एक रिपोर्ट मिली जिसमें बारिश में भीड़ को संबोधित कर रहीं बधोन की एक अलग एंगल से समान तस्वीर प्रकाशित की गई थी (आर्काइव्ड लिंक).

रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने 1 अगस्त को बांग्लादेश में छात्र प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए कलाकारों द्वारा किए गए प्रदर्शन में भाग लिया, जहां उन्होंने सरकार से सुधारों की मांग करते हुए भाषण दिया.

रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा: "एक राज्य जो खुलेआम निर्दोष लोगों को अंधाधुंध गोली मारता है, एक राज्य जो अंधाधुंध सामूहिक गिरफ़्तारियां करता है, वह राज्य कभी भी एक लोकतांत्रिक राज्य का प्रतिबिंब नहीं हो सकता है."

विरोध प्रदर्शन को स्थानीय मीडिया आउटलेट्स ने भी यहां और यहां कवर किया है (आर्काइव्ड लिंक यहां और यहां).

एएफ़पी ने बांग्लादेश अशांति से संबंधित अन्य गलत और भ्रामक दावों को यहां फ़ैक्ट-चेक किया है.

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