एम्फ़न तूफ़ान की बाढ़ के दौरान 2020 में ली गयी तस्वीर गलत दावे से शेयर की गई

बांग्लादेश में मई 2020 में सीने तक पानी में खड़े होकर नमाज़ अदा करते हुए कई मुस्लिम व्यक्तियों की एक तस्वीर सोशल मीडिया पोस्ट पर इस गलत दावे से शेयर की जा रही है कि यह अगस्त 2024 में बांग्लादेश में आई भयावह बाढ़ की विभीषिका दिखाती है. तस्वीर को कैप्चर करने वाले फ़ोटोग्राफ़र ने एएफ़पी को बताया कि यह वास्तव में एम्फ़न चक्रवात के कारण आई बाढ़ के बाद एक मस्जिद में नमाज़ अदा करते लोगों की  तस्वीर है. एम्फ़न की वजह से मई 2020 में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई और बांग्लादेश और भारत में लाखों लोग इससे प्रभावित हुए थे.

तस्वीर को फ़ेसबुक पर यहां शेयर किया गया है. 

पोस्ट का कैप्शन है, "इस समय बांग्लादेश में आई भयानक बाढ़ से हाल बेहाल हैं इन मुल्लाओं को देखिए. कर्म का फल मिलता है पर इतनी जल्दी मिलता है. जिन पापियों ने मंदिर को तोड़ा था. आज उनको वही पर शरण लेनी पर रही है."

तस्वीर, जिसमें कई मुस्लिम पुरुष लगभग सीने तक पानी में खड़े होकर नमाज़ अदा करते हुए दिख रहे हैं, बांग्लादेश के तटीय इलाके में भारी बाढ़ के बाद शेयर की गई थी, जिसमें कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 300,000 लोगों को राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था (आर्काइव्ड लिंक यहां और यहां).

बांग्लादेश में हफ़्तों तक चली राजनीतिक उथल-पुथल और प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफ़े के बाद अब बाढ़ की विभीषिका से सामान्य जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. 

पोस्ट में गलत संदर्भ देते हुए यह दावा भी किया जा रहा है कि हसीना के निष्कासन के बाद फैली अराजकता में दर्जनों हिंदू मंदिरों को जलाया गया था जिसके परिणामस्वरूप यह प्राकृतिक आपदा आई है (आर्काइव्ड लिंक). 

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट

तस्वीर को इसी दावे से फ़ेसबुक पर यहां, यहां और X पर यहां शेयर किया गया है. 

हालांकि, तस्वीर पुरानी है और इसका 2024 की बांग्लादेश बाढ़ से कोई संबंध नहीं है.

2020 की तस्वीर

तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर इंटरनेशनल फ़ोटोग्राफ़ी अवार्ड्स की वेबसाइट पर भी यही फ़ोटो प्रकाशित की गई मिली (आर्काइव्ड लिंक).

फ़ोटो का कैप्शन "प्रे फ़ॉर मर्सी" है और इसका क्रेडिट फ़ोटोग्राफ़र शरवर हुसैन को दिया गया है. फ़ोटो के नीचे दिए गए डिसक्रिप्शन में कहा गया है कि इसे बांग्लादेश के सतखिरा में लिया गया था.

नीचे गलत दावे की पोस्ट में शेयर की गई तस्वीर (बाएं) और इंटरनेशनल  फ़ोटोग्राफ़ी अवार्ड्स वेबसाइट पर मौजूद उसी फोटो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना दी गई है.

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गलत दावे की पोस्ट में शेयर की गई तस्वीर (बाएं) और इंटरनेशनल फोटोग्राफ़ी अवार्ड्स वेबसाइट पर मौजूद उसी फोटो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

आगे कीवर्ड सर्च करने पर हुसैन द्वारा 29 मार्च, 2022 को इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई वही तस्वीर मिली (आर्काइव्ड लिंक).

इसका कैप्शन था: "यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि मेरा काम @wwdphc -2022 की विजेता सूची में है. यह 'टीयर्स ऑफ ग्लोबल वार्मिंग' टाइटल के तहत मेरी लंबी डॉक्यूमेंट्री सीरीज से एक फ़ोटो है."

फ़ोटो ने विश्व जल दिवस फ़ोटो प्रतियोगिता (WWDPHC) के 2022 संस्करण में दूसरा स्थान प्राप्त किया था (आर्काइव्ड लिंक).

बांग्लादेश स्थित डॉक्यूमेंट्री फ़ोटोग्राफ़र शरवर हुसैन ने एएफ़पी को बताया कि वह अपनी तस्वीर को गलत संदर्भ के साथ शेयर होते देखकर "बहुत निराश" हैं.

उन्होंने 28 अगस्त, 2024 को कहा, "यह तस्वीर 2020 में सुपर साइक्लोन एम्फ़न के दौरान बांग्लादेश के सतखिरा में ली गई थी."

"इस इलाके के आस-पास कोई सूखी ज़मीन नहीं थी जहां लोग अपनी रोज़ाना की नमाज़ अदा कर सकें, इसलिए लोग इस मस्जिद में सिर्फ़ जुम्मा की नमाज़ अदा करते थे, जहां बाढ़ का पानी घुटनों और सीने के स्तर तक भरा होता था."

मई 2020 में एम्फ़न ने दक्षिण-पश्चिम बांग्लादेश और पूर्वी भारत में तबाही मचाई थी, जिसमें 100 से ज़्यादा लोग मारे गए थे (आर्काइव्ड लिंक).

तूफ़ान ने कई गांवों को तहस-नहस कर दिया, पेड़ों को उखाड़ दिया और मछली के तालाबों को बर्बाद कर दिया; एम्फ़न के साथ आए तूफ़ान के खारे पानी से हज़ारों एकड़ खेत और फलों के बागान भी तबाह हो गए थे.

एएफ़पी ने बांग्लादेश में अशांति से जुड़े अन्य गलत दावों को यहां फ़ैक्ट-चेक किया है.

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