बांग्लादेश में छात्र की गिरफ़्तारी का वीडियो गलत दावे से शेयर किया गया

बांग्लादेश में कथित तौर पर ईशनिंदा के आरोप में एक अल्पसंख्यक हिंदू व्यक्ति के साथ हुई मारपीट के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिससे भारत में भी लोगों के बीच गुस्सा देखने को मिल रहा है. हालांकि पुलिसकर्मियों द्वारा एक व्यक्ति को घसीटते हुए ले जाने का यह वीडियो उसके आख़िरी पलों को नहीं दिखाता है. यह क्लिप दरअसल दीपू चंद्र दास की हत्या से एक महीने पहले शेयर की गई थी, और ढाका पुलिस ने एएफ़पी को बताया कि वीडियो में दिख रहा व्यक्ति पास के एक कॉलेज का छात्र है, जिसे गिरफ़्तार करने के बाद छोड़ दिया गया था.

फ़ेसबुक पर 22 दिसंबर को शेयर की गई पोस्ट का कैप्शन है, "दीपू चंद्र दास रोते रहा, गिड़गिड़ाते रहा, लेकिन बांग्लादेश पुलिस ने उसे कट्टरपंथी मुसलमानों के हाथों मरने के लिए सौंप दिया. दीपू बार-बार बोल रहा था, सर, मैं निर्दोष हूं, सर, मैंने कुछ भी गलत नहीं किया। फिर भी, बांग्लादेश पुलिस, जो मुसलमानों से भरी हुई है, ने कट्टरपंथी मुसलमानों को सौंप दिया. उसके बाद, कट्टरपंथी मुसलमानों ने दीपू के साथ जो किया, उससे पूरी मानवता शर्मसार हो जाएग."

पोस्ट में शेयर किये गये वीडियो में पुलिसकर्मियों का एक समूह भीड़ के बीच से एक व्यक्ति को घसीटते हुए ले जाता दिखाई देता है. 

ज्ञात हो कि दीपू चंद्र दास एक कपड़े की फ़ैक्ट्री में काम करते थे, जिनकी ढाका की राजधानी के उत्तर में स्थित म्यमेंसिंग में 18 दिसंबर को ईशनिंदा के आरोपों के बाद उग्र भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी (आर्काइव्ड लिंक).

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गलत दावे से शेयर की गई फ़ेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट, 31 दिसंबर 2025 को लिया गया.

हाल में बांग्लादेश में भारत-विरोधी भावनाओं के बढ़ने के बाद दास की हत्या हुई. यह घटना 2024 के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के एक प्रमुख छात्र नेता शरीफ़ उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा के साथ भी जुड़ी हुई है.

बांग्लादेश की रैपिड एक्शन बटालियन ने कहा कि इस मामले में ईशनिंदा का कोई सबूत नहीं मिला है और दास की हत्या के संबंध में दस लोगों को गिरफ़्तार किया गया है (आर्काइव्ड लिंक).

इस घटना के बाद भारत में भी विरोध प्रदर्शन हुए, जहां अधिकारियों ने बांग्लादेश में सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की है (आर्काइव्ड लिंक).

दास के आख़िरी पलों के दावे से इस वीडियो को फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, थ्रेड्स और X पर भी शेयर किया गया है.

हालांकि, ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस के डिप्टी कमिश्नर मसूद आलम ने 28 दिसंबर को एएफ़पी को बताया कि वीडियो में दिख रहा व्यक्ति दीपू दास नहीं है.

आलम ने कहा, "मेरे सहकर्मी पुलिसकर्मियों ने उसे प्रदर्शनकारी समझकर पकड़ा था. लेकिन जब पता चला कि वह पास के ढाका कॉलेज का छात्र है, तो उसे छोड़ दिया गया."

गलत दावे से शेयर किए गए वीडियो के की-फ़्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर पता चला कि यही वीडियो दास की हत्या से एक महीने पहले ही कई न्यूज़ रिपोर्ट्स में शेयर किया जा चुका है.

बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट भोरेर कागोज़ ने 18 नवंबर 2025 को इस वीडियो को अपने फ़ेसबुक और यूट्यूब पेज पर शेयर किया था. वीडियो के साथ बंगाली भाषा में हेडलाइन है:  "इस ढाका कॉलेज के छात्र के साथ क्या हुआ?" (आर्काइव्ड लिंक).

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट (बायें) और फ़ेसबुक वीडियो के स्क्रीनशॉट की तुलना

बांग्लादेश के एक अन्य मीडिया आउटलेट, NPB News, ने इस फ़ुटेज का लंबा संस्करण अपने फ़ेसबुक पेज पर शेयर किया. इस वीडियो में व्यक्ति बार-बार कहता है कि वह ढाका कॉलेज का छात्र है और प्रदर्शनों में शामिल नहीं है (आर्काइव्ड लिंक).

एक मौके पर वह अपनी पहचान अब्दुल मोमिन के रूप में बताता है. उसने जो जर्सी पहन रखी है, उसके सामने ढाका कॉलेज का लोगो है, जबकि पीछे "Momin" लिखा हुआ दिखाई देता है.

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फ़ेसबुक वीडियो के स्क्रीनशॉट्स जिसमें एएफ़पी द्वारा डीटेल्स हाईलाइट की गई हैं

आगे कीवर्ड सर्च करने पर 17 नवंबर को प्रथम आलो की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली. इसमें बताया गया था कि बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान के आवास के बचे हुए हिस्से को गिराने पहुंचे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी (आर्काइव्ड लिंक).

ये प्रदर्शन उनकी बेटी और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर पिछले साल के जनआंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ़ किए गए अपराधों के मामले में आए फैसले के बाद हुए थे. 

एएफ़पी इससे पहले भी बांग्लादेश में अशांति से जुड़े कई गलत और भ्रामक दावों का फ़ैक्ट-चेक कर चुका है.

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