( AFP / INDRANIL MUKHERJEE)

घायल कश्मीरी युवक की पुरानी तस्वीर किसानों के हालिया प्रदर्शन से जोड़कर शेयर की गई

2016 में भारत प्रशासित कश्मीर में पैलेट गन से घायल एक युवक की तस्वीर को सोशल मीडिया पोस्ट्स में गलत दावे से शेयर कर कहा जा रहा है कि ये 2024 में शुरू हुए किसान के विरोध प्रदर्शन में घायल एक किसान की है. तस्वीर लेने वाले फ़ोटोग्राफ़र ने एएफ़पी को बताया कि इस तस्वीर का किसानों के प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है.

तस्वीर को फ़ेसबुक पर यहां 22 फ़रवरी 2024 को किसान आंदोलन के समर्थन वाले हैशटैग के साथ शेयर किया गया है. 

पंजाबी भाषा के पोस्ट के कैप्शन का अनुवाद है,"कहा जाता है कि कोई देश अपने नागरिको पर हमला नहीं करता है लेकिन शायद अब हम इस देश के नागरिक नहीं है?"

"पैलेट गन्स पूरी दुनिया में बैन होने के बाद भी इस्तेमाल किये जाते है. भले ही यह पैलेट्स आपकी जान नहीं लेते हैं किन्तु आपको पूरे जीवन के लिए असहाय बना देते हैं."

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट, 22 फ़रवरी 2024

यह फ़ोटो तब ऑनलाइन शेयर होना शुरू हुई जब मीडिया की कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि आंदोलनकारियों को रोकने के दौरान पुलिसकर्मियों ने पैलेट गन का इस्तेमाल किया जिससे कुछ प्रदर्शनकारियों के चेहरे पर चोटें आई थीं - हालांकि अधिकारियों ने इस आरोप को ख़ारिज किया है (आर्काइव्ड लिंक).

हालिया प्रदर्शन 2021 के किसान आंदोलन के बाद नए सिरे से शुरू हुए हैं. पिछले किसान आंदोलन की वजह से केंद्र सरकार को अपने तीन कृषि क़ानून वापस लेने पड़े थे.

वीडियो को इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर यहां, यहां और यहां शेयर किया गया है.

हालांकि यह तस्वीर 2016 में भारत प्रशासित कश्मीर में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान ली गई थी.

कश्मीर प्रोटेस्ट 2016

यह तस्वीर 13 जुलाई 2016 को एसोसिएटेड प्रेस (एपी) की वेबसाइट पर छपी थी, साथ ही तस्वीर के कैप्शन में उस व्यक्ति की पहचान भारत प्रशासित कश्मीर में पुलिस के साथ झड़प के दौरान घायल हुए एक प्रदर्शनकारी के रूप में की गई थी (आर्काइव्ड लिंक).

कैप्शन में लिखा है, "बुधवार 13 जुलाई 2016 को भारत नियंत्रित कश्मीर के श्रीनगर के एक अस्पताल में मोहम्मद इमरान पर्रे, जो एक विरोध प्रदर्शन के दौरान पैलेट्स लगने से घायल हो गए, का इलाज चल रहा है. "भारत प्रशासित कश्मीर के अस्पताल भरे पड़े हैं, सैकड़ों घायल मरीज़ों की भीड़ लगी हुई है क्योंकि यह क्षेत्र भारत विरोधी प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच कई दिनों से हो रही झड़पों से जूझ रहा है."

फ़ोटग्राफ़र ने अपनी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर एएफ़पी को बताया, "यह भारत प्रशासित कश्मीर की एक पुरानी तस्वीर है और इसका किसानों के हालिया विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है." 

जिस सप्ताह यह तस्वीर खींची गई, उसी सप्ताह एएफ़पी की कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार अधिकारियों ने भारत प्रशासित कश्मीर में कर्फ़्यू का उल्लंघन करने वाले सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस, पैलेट शॉटगन और गोलियों का इस्तेमाल किया था (आर्काइव्ड लिंक).

गलत दावे की पोस्ट की तस्वीर (बाएं) और एपी वेबसाइट पर अपलोड की गई तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना नीचे दी गई है.

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गलत दावे की पोस्ट की तस्वीर (बाएं) और एपी वेबसाइट पर अपलोड की गई तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

यह तस्वीर अन्य मीडिया संगठनों द्वारा सितंबर 2016 में झड़पों की कवरेज में द न्यू इंडियन एक्सप्रेस द्वारा यहां और यूके ऑनलाइन समाचार आउटलेट द इंडिपेंडेंट ने यहां प्रकाशित की गई थी (आर्काइव्ड लिंक यहां और यहां हैं).

एएफ़पी ने किसान आंदोलन से जुड़ी अन्य गलत सूचनाओं को यहां और यहां फ़ैक्ट-चेक किया है.

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